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खुद को हमेसा प्रेरित कैसे रखे ? खुद को मोटिवेटेड कैसे रखे ? How to motivate self

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कई बार आप अपने आप को बदलने का बहुत प्रयास करते हैं । लेकिन आप अपने आप को बदल नहीं पाते हैं और कई बार आप दूसरों को बदलने की भी बहुत ज्यादा कोशिश करते हैं । लेकिन वह सफल नहीं हो पाती है। आप चाहते तो है। आप खुद को या दूसरे को बहुत अच्छे से बदल पाए । 


लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे क्या रीजन है। आज हम जाने की कोशिश करते हैं। इस कहानी के माध्यम से जानेंगे कि आप अपने आप को या किसी को बदलना चाहते भी हैं तो उसका क्या तरीका हो सकता है। 


खुद को हमेसा प्रेरित कैसे रखे ? खुद को मोटिवेटेड कैसे रखे ? How to motivate self

एक बार एक राजा के दरबार मे एक व्यक्ति पहुचा ओर कहने लगा कि मुझे आप अपने यहां किसी भी हालत में काम पर रख लीजिए । राजा ने कहाँ भाई आपमे ऐसा कौन सा गुण है कि मैं आपको अपने दरबार में काम पर रख लूं। उस व्यक्ति ने कहा कि मैं आपकी बहुत बड़ी समस्या का समाधान चुटकियों में कर सकता हूं। 


राजा ने कहा कि वह कैसे उस व्यक्ति ने कहा कि मैं किसी भी व्यक्ति को देखकर यह जानवर को देखकर उसके बारे में सच बता सकता हूं। अब राजा को विश्वास नहीं हुआ । लेकिन उसने सोचा कि यदि व्यक्ति ऐसा बोल रहा है तो मैं इसको प्रखुगा और उसको काम पर रख लेता हूं। 


राजा ने कहा कि ठीक है। मैं तुम्हें काम पर रखने के लिए तैयार हूं। तुम्हें मैं अपने अस्तबल का मेन व्यक्ति बना देता हूं। तुम मेरे सारे के सारे घोड़े को बहुत अच्छे से संभाल ना उसने कहा कि ठीक है और आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने मेरे कहने पर मुझे काम पर रख लिया को काम करते हुए थोड़ी दिन बीत चुके थे। 


राजा ने सोचा कि मुझे व्यक्ति को परखना चाहिए की ये जो बोल रहा था। वह बात सही थी या फिर झूठ थी तो राजा अस्तबल में गया। ओर उसे व्यक्ति से कहने लगा कि देखो यह मेरा सबसे महंगा घोड़ा है। सबसे शानदार है। मेने इसे बहुत ही मेहनत से कमाया है। 


उस व्यक्ति ने राजा को कहाँ की राजा साहब आपके इस सारी बाते तो ठीक है। लेकिन गुसा माफ हो। में आपको इस घोड़े के बारे में एक बात बताना चाहता हूं। यदि आप इजाजत दें तो मैं आपको बताऊं। राजा ने कहा कि बिल्कुल तुम्हारे मन में जो है वह मुझे बताओ। 


उस व्यक्ति ने कहा कि राजा साहब आपका यह महंगा घोड़ा क्या आपने जो इतनी मेहनत से घोड़े को खरीदा है। वह बहुत अच्छी बात है। लेकिन यह आपका घोड़ा नस्ल वाला घोड़ा नहीं है। यह तो नकली घोड़ा है। अब इस बात को सोच कर चिंतित हो गया। 


ओर सोचने लगे कि मैंने तो इस घोड़े को खरीदने के लिए इतना सारा पैसा दिया है। इतना सारा मूल्य दिया है लेकिन यह व्यक्ति कह रहा है कि ये घोड़ा नस्ल का नहीं है। ऐसे कैसे हो सकता है उस व्यक्ति ने डंके के छोट पर कहा कि जहां से भी आपने घोड़े को खरीदा है। 


वहां से आप पता लगाइए की नस्ल का है या फिर नहीं है। राजा ने ऐसा ही किया है। जिस व्यक्ति से उनसे वो वह घोड़ा खरीदा था। उसको बुलाया कि जो भी बात हो । सच बताना नहीं तो तुम्हारी बहुत ज्यादा डर गया और कहने लगा। राजा साहब मुझे माफ कर दो। मैंने आपसे झूठ कहा था। 


यह घोड़ा था तो नस्ल का ही लेकिन इसकी मां इस को जन्म देने के बाद ही मर गई थी। मैंने सोचा कि आप क्या किया जाए। मुझे घोड़े को बचाना था और इसलिए मैंने इस घोड़े को गाय के साथ रख दिया और गाय के साथ यह घोड़ा धीरे-धीरे करके बड़ा हुआ और जब आप मेरे पास आए तो मैं नहीं यह घोड़ा आपको दे दिया को किस बात पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया कि तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो। 


लेकिन बोला जब भी हुआ कि उन्हें यह सच का पता चल चुका था। बहुत ज्यादा खुश हूं तुम्हारी वजह से मुझे सच्चाई पता चला है। मैं तुम्हें ही नाम देना चाहता हूं। राजा ने कहा कि मैं तुम्हें बहुत सारी भेड़, बकरी और मुर्गी नाम में देता हूं। मेरे लिए और काम करो कि बाकी सारी बातें ठीक है। 


तुम मुझे यह तो बताओ कि तुम्हें पता कैसे चला कि घोड़ा नकली नहीं है। उसने कहा कि पता लगाना तो मेरे लिए बड़ी आसान सी बात थी क्योंकि जब भी कोई नस्ली घोड़ा भोजन करता है तो वह अपने मुंह को ऊपर की तरफ करता है और भोजन करता है, लेकिन थोड़े को देखा तो इसका मुंह पूरे समय नीचे रहता था। एक गाय के सामान और मुझे तभी पता चल गया था कि घोड़ा नकली नहीं है। 


थोड़े दिन तक राजा के मन में एक बात आई कि मुझे उस व्यक्ति से अपनी रानी के बारे में भी कुछ जानकारी जरूर लेना चाहिए क्योंकि मेरी रानी तो इतनी खानदानी है तो मैं उस व्यक्ति से पूछ कर देखता हूं। अपनी नानी के बारे में राजा ने उस व्यक्ति को अपने दरबार में बुलाया और कहा कि मुझे तुमसे अपनी रानी के बारे में कुछ जानकारी लेना है। मेरी रानी के बारे में बताओ उस व्यक्ति ने कहा कि मैं रानी के बारे में सब कुछ बता दूंगा, लेकिन आपको वादा करना होगा कि आप मेरे ऊपर गुस्सा। बिल्कुल गुस्सा नहीं करूंगा क्योंकि मेरी रानी तू इतनी अच्छी है। 


तुम पर गुस्सा क्यों करूंगा को कहा कि आप की रानी खानदानी बिल्कुल भी नहीं है और इस बात को सुनकर राजा बहुत ही ज्यादा गुस्से में आ गए और उसी से पूछने लगे कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो। उस देखती ने कहा कि मैंने पहले ही आपसे कहा था कि आप गुस्सा नहीं करेंगे। लेकिन अभी आप तो गुस्सा कर रही आपको वाकई में सच का पता लगाना है तो आप रानी की मां को जाकर पूछिए कि सच क्या है, हो सकता है, वह आपको सच बता देंगे। 


अब राजा ने सोचा कि यह बात भी ठीक है। उन्होंने उस रानी की मां को बुलाया और कहा कि आप मुझे सारी की सारी बातें सच बताइए कि सच क्या है, यह लानी है। कौन अब रानी की मां बहुत ज्यादा डर गई। कब कब आने लगी और राजा से कहने लगी कि मैं आपको सारी की सारी बातें सच बता और मेरे पति के बीच में बहुत ही अच्छी दोस्ती थी। आज जवाब पैदा भी नहीं हुए थे। 


जब उन दोनों ने यह निश्चय ले लिया था कि हम दोनों के बच्चों की शादी आपस में होगी। मुझे बेटी तो पैदा हुई थी लेकिन पैदा के 6 महीने बाद ही। मैं कभी नहीं चाहती थी कि आपके पिता और मेरे पति के बीच में जो भी बातें हुई है जो भी कमिटमेंट हुए हैं। वह मरे जो मैं चाहती थी कि वह कमिटमेंट पूरे हो, इसलिए मैंने कहीं दूसरी जगह से एक बच्ची को ढूंढा और उसे मैंने पाला पोसा और बड़ा किया। पड़ी हुई उसकी शादी आपके साथ हो गई। 


राजा को फिर बहुत गुस्सा आया, लेकिन वह प्रश्न भी हुए क्योंकि उन्हें मोदी पर फिर बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए। तुम्हारे कारण आज मुझे परीक्षक का पता चला है। राजा ने फिर उस व्यक्ति को कहा कि मैं फिर से तुम्हें बहुत सारा ही नाम देना चाहता हूं। जाओ जितने भी पढ़ लेना है, बकरियां लेना है। मुर्गी लेना है लेकर जाओ। राजा ने इस बार फिर से उससे पूछा कि तुम मुझे यह तो बता दो कि तुम्हें पता कैसे चला कि रानी खानदानी नहीं है। उसने कहा कि पता लगाना तो मेरे लिए बड़ा ही आसान था कि ईरानी खानदानी नहीं है ।


क्योंकि कोई भी खानदानी महिला हर व्यक्ति से अच्छे से बातें करती है। गाली गलोज नहीं करती है, बुरा व्यवहार नहीं करती है। लेकिन जो मैंने रानी को देखा तो मैंने पाया कि हर व्यक्ति। गाली गलौज करती रहती है। हर व्यक्ति से अच्छे से बात नहीं करती हैं। अकड़ दिखाती रहती है ।


जबकि एक खानदानी महिला कभी भी ऐसा नहीं करती। थोड़े दिन और बीते बहुत खुशी-खुशी रहने लगा के बाद राजा के मन में आया कि मुझे अपने बारे में जानना चाहिए क्योंकि मैं तो इतना प्रताप ही हूं। मैं तो इतना बड़ा। राजा हूं कि मेरे बारे में क्या सच बताएगा। यह मुझे इसे जरूर जाना चाहिए। दरबार में बुलाया और कहा कि आज तुम्हें मेरे बारे में सच बताना है कि मेरी सच्चाई क्या है। उस व्यक्ति ने कहा कि महाराज में आप की सच्चाई बताने के लिए बिल्कुल तैयार हूं ।


लेकिन आपको मुझसे वादा करना होगा कि आप मुझे अपने सैनिकों के द्वारा करवाएंगे नहीं। राजा ने कहा कि कैसी बातें कर रहे हो। मैं तुम्हें क्यों मरवाने लगा, बिल्कुल भी नहीं करूंगा। ऐसा लेकिन मुझे अपने बारे में सच जानना है जो मेरे बारे में सच है। वह तुम्हें बताना होगा। उसने कहा कि बिल्कुल ठीक है। मैं बता देता हूं। उस दिन राजा को कहा कि आप की सच्चाई यह है कि आप किसी राजा की संतान हो ही नहीं राजा का दिमाग का। राजा सोचने लगे कि यह कैसी बात कर रहा है। मैं इतना बड़ा राजा हूं और यह भी कह रहा है कि मैं किसी राजा की संतान ही नहीं हूं। 


वैसे गुस्सा हो गए। इस बात को अपनी मां से पूछ सकते हैं। सच्चाई को जान सकते हैं। राजा अपनी मां के पास गुस्से में गया और पूछेगा कि मां मुझे सच्चाई बताओ कि मैं कौन हूं। मैं कहां से आया हूं और वाकई में मैं राजा की संतान हूं या नहीं हूं। राजा की माने सच्चाई बताई कि जब तुम्हारे पिता और मेरी शादी हुई तो उसके कई सालों बाद तक हमें कोई भी बच्चा नहीं हुआ। 


कोई भी संतान नहीं हुई, लेकिन इस राज्य को चलाने के लिए एक उत्तराधिकारी तो चाहिए ही था और हमारे यहां पर काम करता था। उसे पुत्र धन की प्राप्ति हुई थी जो कि तुम हो और तुम को हम ने गोद ले लिया। पाला पोसा बड़ा बनाया और तुम राजा बन गए। राजा का दिमाग बहुत ज्यादा खराब हो रहा था। लेकिन कुछ भी था क्योंकि उसे तक का पता चल गया था ।


लेकिन वह व्यक्ति के पास दौड़ते दौड़ते गया और उसने कहा कि यार तुम्हें पता कैसे चला कि मैं राजा की संतान नहीं हूं। इतना बड़ा सीक्रेट जो आज तक मुझे खुद। लेकिन तुमने मुझे सच बताया तो बताया कैसे तुम्हें पता कैसे चला। उसी ने कहा कि यह पता लगाना तो मेरे लिए बड़ा ही आसान था क्योंकि जब भी कोई राजा खुश होता है ।


किसी को इनाम देता है तो वही देता है जो हरा देता है तो ना देता है लेकिन जब भी आप खुश होते थे, मुझे इनाम देते थे। टॉप गार्डन देते थे, भीड़ देते थे, पुर्गे देते थे और उसी वक्त मैं समझ गया था कि आप एक राजा की औलाद हो ही नहीं सकते। 


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किसी इंसान के प्रव्रीति ही इंसान की सच्चाई बताती है ? 

क्या आपको बात समझ में आई कि किसी भी इंसान की प्रवृत्ति ही उस इंसान के बारे में सच्चाई बताती है कि वह कैसा है, उसके गुण कैसे हैं। वो क्या क्या कर सकता है और क्या-क्या नहीं कर सकता है। 


कई बार आपने लोगों को कहते हुए सुना होगा कि मेरे कारण हुआ है। यह काम मेरे कारण हुआ है । लेकिन यह बिल्कुल भी सच नहीं है। कोई भी व्यक्ति किसी भी काम को कर नहीं सकता। जब तक कि उसके गुणों से काम नहीं करवा लेते । इसका मतलब ये है। कि  आप जो भी काम करते हैं । 


वह आपकी वजह से नहीं होता है। वह आप नहीं करते हैं या हम नहीं करते हैं बल्कि हमारी प्रकृति हमारी प्रवृत्ति हमसे करवाती हैं? जैसे हमारे प्रव्रीति होगी । जैसे हमारी प्रवृत्ति होगी जैसे हमारे गुण होंगे जैसे ही हमारा जीवन भी होगा। 


हम कई बार लोगों को बदलने की कोशिश करते हैं । लेकिन उनकी प्रवृत्ति या प्रकृति और गुण देखे बिना आप खुद को या किसी व्यक्ति को बदलने की कोशिश तो करते हैं। लेकिन कभी भी यह नहीं सोचते हैं कि उस व्यक्ति के गुण क्या है । 


उस व्यक्ति प्रवृत्ति कैसी है।  उस व्यक्ति की प्रकृति कैसी है या साफ - साफ   मतलब मैं कहूं तो उसका नेचर कैसा है जिस व्यक्ति का नेचर  जैसा होता है वह वैसा ही काम करता है। उसके अलावा वह किसी और प्रकार का काम कर ही नहीं सकता है।


लेकिन फिर भी को उसके नेचर के खिलाफ जाने के लिए मनाते हैं। की आपको इस अकॉर्डिंग काम करना है । लेकिन इस बात को हमेशा याद रखना कि जिस व्यक्ति की जैसी प्रकृति होती है । जैसा नेचर  होता है। वह वैसा ही काम करेगा। 


इंसान का नेचर कितने प्रकार के होते हैं ? 

  1. इंसान के नेचर मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है। पहला होता है सात्विक होता है। 


  1. दूसरा होता है राज सेक होता है। 


  1. तीसरा होता है तामसिक 



तामसिक नेचर के लोग वो होते है। जो  लोग वह होते हैं जो इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि जितने भी कर मांग कर रहे हैं या जितने भी कर्मों के फलों में मिल रहे हैं वह। हमारे नीचे  क्या मारे गुणों के कारण हमें मिल रहे हैं जितना हम अपने गुणों को बढ़ाते जाएंगे ।


उतनी हमारी प्रबल थी। उतनी हमारी प्रकृति है। उतना हमारा नेचर अच्छा होता जाएगा और वैसा ही फल हमें मिलता जाएगा। लेकिन राशि के लोगों की प्रवृत्ति होती है कि वह यह सोचते हैं कि दुनिया में जो भी काम हो रहा है वह सिर्फ और सिर्फ मेरे कारण हो रहा है। 


उन्हें बहुत ज्यादा अहम होता है। कार होता है और वह सोचते हैं कि जो कुछ भी किया है तो मैंने किया है और मेरी वजह से हुआ है और तामसिक नेचर के लोग होते हैं जो बहुत ज्यादा आलसी होते हैं जो कर्म करने में भरोसा ही नहीं रखते हैं। उन्हें बहुत ज्यादा नींद आती है। हालत से आता है और वह किसी भी काम को नहीं करते हैं। उन्हें लगता है कि बस मुझे आराम की जरूरत है और मैं आराम करता रहूंगा तो मुझे सब कुछ मिल जाएगा।


मैं यहीं पर बैठा रहूंगा तो मुझे सब कुछ प्राप्त हो जाएगा। इस प्रकार के लोग होते हैं काम सीख लो जब भी आप अपने आप हो या किसी व्यक्ति को बदलना चाहे तो सबसे पहले अपने आपसे पूछो। 33 प्रकृति मशीन 3  तिनि में से आपका कौन सा नेचर है।

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