". अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है। मृत्यु के बाद का नियम।Why does sudden death happen? Law after death - Hindi me jane

अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है। मृत्यु के बाद का नियम।Why does sudden death happen? Law after death

 अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है। मृत्यु के बाद का नियम।Why does sudden death happen? Law after death.achaanak mrtyu kyon ho jaatee hai. mrtyu ke baad


अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है। मृत्यु के बाद का नियम।Why does sudden death happen? Law after death.achaanak mrtyu kyon ho jaatee hai. mrtyu ke baad

नमस्कार दोस्तों आपका लव जी के भी मैं आपका स्वागत है आज मैं बात करने जा रहे हैं कि मनुष्य अचानक क्यों मृत्यु हो जाता है क्या कारण है इसके बारे में  चर्चा करने जा रहे हैं।


आप अपनी लाइफ में कुछ नया सीखना चाहते हैं  और आप लोगों ने देखा होगा कि किसी का एक्सीडेंट हो जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। फिर वहां आ गए होते। ऐसा ना होता कोई व्यक्ति पानी में डूब कर मर जाता है तो लोग कहते हैं कि स्नान करने नदी तालाब में ना गए होते। ऐसा ना हो सकता था। उसकी जाति नहीं। मेरे भाई चाहे किसी का एक्सीडेंट हो जाए या चाहे किसी के पानी से मृत्यु हो जाए। जहर से मृत्यु हो जाए या फिर उसकी फांसी लगाने से मृत्यु हो जाए या किसी और भी दुर्घटना के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। ऐसे में आप लोगों ने कई लोगों को कहते सुना होगा कि वह आना गए होते तो शायद ऐसा ना होता उसके ऊपर चल जाती है। लेकिन दोस्तों जो निश्चित है, वह हमारे साथ होकर रहता है। हम आपको बता दें कि रामचरितमानस के बाल। ठंड में साफ साफ यह प्रशन लिखा हुआ है एक उदाहरण देते हैं। आपको एक प्रताप भानु नाम के राजा हुआ करते थे और एक बार उनके घर पर बहुत से संत ब्राह्मण सभी को भोजन करा रहे थे। लेकिन जो उनका रसोईया था या नहीं, भोजन बनाने वाला वह रसोईया एक मायावी राक्षस था। उस मायावी राक्षस ने सभी संतो को और ब्राह्मणों को उनके कार्यों में मांस परोस दिया और संतों ने तथा ब्राह्मणों ने देखा कि हमारी थाली में मांस है तो उन्होंने राजा प्रताप भानु को श्राप दे। सदा के लिए राक्षस बन जा। अब राजा प्रताप भानु अपने मन में विचार करते हैं कि मैंने भंडारा ना किया होता तो तुमको और ब्राह्मणों को भोजन ना करें। आज मेरी यह दुर्घटना होती शायद मेरे ऊपर से यह घड़ी तक जाती। वही राजा प्रताप भानु बाद में जाकर रावण बने आगे बढ़ने से पहले।  रामचरितमानस में लिखा है कि जो होना है वह हमारे साथ या आपके साथ होकर रहता है। वह किसी भी प्रकार से चलता नहीं है और जो नहीं होना हमारे साथ कदापि नहीं होगा, जिसकी मृत्यु चाहा लिखी है, जैसे लिखी है और जब लिखी है वैसे ही होकर रहती है। चाहे अपने घर के बिस्तर पर या फिर घटना के कारण या फिर किसी नदी तालाब के कारण महाभारत में भीष्म पितामह की मृत्यु जैसे लिखी थी। बाणों की शैया पर ठीक वैसे ही हुई थी जिसकी मृत्यु कैसे लिखे हैं, वह हो रही है। वह पहले से ही निश्चित है तो इसलिए हमें इस पर शोक नहीं करना चाहिए। इस पर हमें परेशान नहीं होना चाहिए। अकाल मृत्यु नहीं होती है। यह डिस्ट्रिक्ट मान लीजिए कि ऐसा हमारे साथ होना है, लेकिन दोस्तों शास्त्र कहते हैं कि शालिग्राम भगवान का या फिर लड्डू गोपाल जी का नहाने के बाद जो पानी बचता है, उसे चरणामृत कहते हैं जो भगवान की पूजा करके उन्हें प्रणाम करके चरणामृत पान करके अपने घर से बाहर निकलता है। उसके कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। आपको बता दें कि अकाल मृत्यु का अर्थ यह है कि मर गया किसी सड़क दुर्घटना में या पानी में डूब कर मर चुके हैं। परंतु शास्त्र कहते हैं कि यह निश्चित है। अगर होती है तो यह बात बिल्कुल सच है कि यदि समय से पहले आना याद करके हो जाए तो हम आपको बता दें कि हमारे गुरुजन कहते हैं कि 80 वर्ष के पहले यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे अकाल मृत्यु भी कहा जाता है। अकाल मृत्यु हो गई। पत्नी ने गला दबाकर मार डाला। फिर वह क्या बना प्रेत बना जो पुण्यात्मा व्यक्ति मरते हैं, उनका क्या होता है। आप लोग स्वामी विवेकानंद कम 40 वर्ष में हुई थी जो व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता रहा। अपने जीवन में हमेशा पुण्य करता रहा तो यदि 20 साल का होकर मर जाता है तो निश्चित ही भगवान के धर्म को जाएगा। परंतु जो पापी लोग हैं, हमेशा अपनी जिंदगी में गलत काम करते हैं। भगवान को नहीं मानते हैं। दूसरों पर अत्याचार करते हैं तथा अपने माता-पिता का अपमान करते हैं और किसी कारणवश उन पापी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो निश्चित मान लीजिए कि वह अपनी बाकी जिंदगी में पढ़ लेंगे। अभी उनका कार्य जब तक पूरा नहीं होगा तो भी भटकते रहेंगे। इसलिए मेरे दोस्तों जो उनके नाम से तुम से पुणे बन सके जैसे पिंडदान है, दर्पण है गया जी। भागवत गीता का। जो आप उनके लिए कर सकें वह आप जरूर करिएगा। ऐसा करने से उनकी आत्मा को काफी हद तक शांति मिल सकती है। आज के लिए बस इतना /




 मृत्यु के बाद का नियम।

यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु सूरज डूबने के बाद होती है तो उसे अगले दिन सुबह के समय में 10 संस्कार किया जाना चाहिए नियम के अनुसार ऐसी मान्यता है कि सूर्य अस्त के बाद 10 संस्कार करने से मृत्यु की आत्मा को परलोक में भारी कष्ट सहन करना पड़ता है और अगले जन्म में उसे किसी अंग में दोष भी हो सकता है इसके और भी कोई कारण है इसलिए अगर सूरज अस्त होने के बाद मिली हो तो उसका एक नक्स्ट रोज द संस्कार करना चाहिए।
 मृत्यु के बाद  दसवीं दिन में बाल मुंडन करवाया जाता है इसके पीछे कारण यह है कि जब पार्थिक खुदा संस्कार जलाया जाता है तो उसमें कुछ हानिकारक जीवाणु हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं इसलिए बाल मुंडन करवाने से शुद्ध माना जाता है।


मृत्यु की रसम कौन-कौन सी होती है।

पितृमेध या अन्त्यकर्म या अंत्येष्टि या दाह संस्कार 16 हिन्दू धर्म संस्कारों में षोडश आर्थात् अंतिम संस्कार है। मृत्यु के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा किए जाने वाले इस संस्कार को दाह-संस्कार, श्मशानकर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं। इसमें मृत्यु के बाद शव को विधी पूर्वक अग्नि को समर्पित किया जाता है।


मृत्यु के बाद क्या नहीं करना चाहिए।

हमारे हिंदू धर्म में और शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद उसके शव का अंतिम संस्कार जल्दी बाजी नहीं करना चाहिए बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए अगर शास्त्र में बताया गया नियमों का पालन करते हुए मृत्यु का अंतिम संस्कार सब घर का परिवार मिलजुल के आराम से करना चाहिए और उसके आत्मा को शांति और सत्य की प्राप्ति होती है।


मनुष्य मरने के बाद 13 दिन क्यों मनाया जाता है।

हिंदू धर्म के अनुसार महाभारत की इस कहानी को बाद में मृत्यु से जोड़ा गया है जिसके अनुसार आपने किसी परिजनों की मृत्यु के बाद मन में अथवा पीड़ा होती है परिवार के साथ देश के मन में उस दौरान बहुत दुखी होती हैं और यह दुखी को भूलने के लिए और मृत्यु मरे हुए को शांत करने के लिए टेरिफिक की रोज ब्राह्मण और कुछ गांव के लोग भोजन करवाया जाता है ताकि जो मृत्यु हुआ है उसको आत्मा को शांति मिले।।

Read also   मैं भी हूँ अकेला। kahani

Read also इंसान की मृत्यु क्यों होती हैं? मृत्यु कैसे होती है जानें!

Read also मेरी कुछ सवाल कविता के रूप में है ,


इंसान मरने के बाद अंतिम संस्कार कैसे होता है।

पार्थिव शरीर की परिक्रमा का नियम किसे शमशान ले जाने से पूर्व घर में उसको पार्थिक शरीर को नया कपड़ा बनाया जाता है और अपने घर से निकालने के पूर्व अपने घर में 5 बार परिक्रमा किया जाता है घर से बाहर निकलने के बाद कुछ दूरी पर फिर वहां पर परिक्रमा किया जाता है 5 बार बाद में दह संस्कार के समय श्मशान घाट में भी उसके पास पूजा किया जाता है पंडित के यहां से व्यक्ति को एक घड़े  में पानी उसमें छेद किया जाता है जब श्मशान घाट ले जाने के क्रम में उस में हल्का सचिन किया जाता है जो कि पानी गिरते जल गिरता रहता है और पार्थिक शरीर की परिक्रमा करता है जिसके अंत में पीछे की ओर खड़े की गिरावट गिरा कर फोड़ देता है और जितना व्यक्ति श्मशान घाट जाते हैं वह सब नहा कर अपना अपना घर आते हैं।


मृत्यु के मुंह में आग कौन दे सकता है घर का आदमी।

10 संस्कार के समय मुंह में आग देने के लिए सबसे पहले बड़ा बेटा और नहीं तो सबसे छोटा बेटा बड़े भाई भतीजा पति या पिता ही देता है मुंह में आग।

कपाल क्रिया क्या होती है?।

कपाल क्रिया में सब को मुंह में आग देने के करीब आधे घंटे के बाद एक लंबा सा लकड़ी में एक लोटा लोटा में घी डालकर सिर वाले हिस्से में डाला जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है इससे सिर का पूरी तरह अंग जलकर राख हो जाता है और शरीर का अंग जलाने के लिए भी डाला जाता है इसे कपास क्रिया कहते हैं।

Read also सपना की कहानी। कहानी।

क्यों मृत्यु शरीर हिंदू धर्म में जला दिया जाता है,?।

हिंदू धर्म में मिट्ठू शरीर के पार्थिव शरीर को शीघ्र शास्त्रों के अनुसार जलाने का नियम है ऐसे मनाता है कि इस तरह शरीर का कंकन प्राकृतिक में विलेन हो जाता है जिससे कोई सूक्ष्म जीव भी मृत्यु शरीर में प्रवेश करने से बच जाते हैं और आसपास के किसी प्रकार का इन्फेक्शन य रोग नहीं फैलता है।


नमस्कार दोस्तों अचानक मृत्यु कैसे हो जाता है इसके बारे में आप लोग पढ़ लिए कैसा लगा अगर अच्छा लगा तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और दोस्तों के पास जरूर शेयर करें।

Read also  morpho 1300 e3 driver download 32-bit in Hindi

Read also How to Transfer MB or Data from Airtel to Airtel?

Read also Online sim card kaise band Karen. how to turn off sim card


No comments:
Write comment