आखिर शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता है।Why is the dead body not left alone?
आखिर शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता है।Why is the dead body not left alone?
नमस्कार दोस्तों lovegkv ब्लॉक में आपका स्वागत है आज हम बात करेंगे सबको अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता है इंसान जब मर जाता है तो फिर उसको अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता है और उसको रात में क्यों नहीं जलाया जाता है इसके बारे में आज हम चर्चा करेंगे।
क्या आपको पता है मृत्यु के बाद रात में दाह संस्कार क्यों नहीं किया जाता या फिर क्या होगा। अगर किसी के साथ संस्कार की रस्म अधूरी रह जाए। जोरदार संस्कार से जुड़े पूरे रहे थे। आपको शायद ही पता होंगे। लेकिन आधी अधूरी सच्चाई के दुनिया का सबसे बड़ा शक्ति कहा जाता है। जिस किसी ने जन्म लिया है। एक न एक दिन मरना ही है। दुनिया की कोई भी ताकत नहीं rok सकती। चाहे दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी हो या दुनिया का सबसे अमीर आदमी या फिर वो दुनिया का सबसे गरीब और कमजोर शक ही क्यों ना हो। एक ना एक दिन हर किसी को गहरी नींद में सो जाना है जिसे हम मृत्यु के नाम से जानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है?
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रात में उसके शव का दाह संस्कार क्यों नहीं किया जाता जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो लोग उसके शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ते। आखिरकार क्यों सब के चारों तरफ अगरबत्ती और धूपबत्ती को जलाया जाता है। क्यों लोग दाह संस्कार के बाद उसकी राख को नदी में प्रवाहित कर देते हैं। इस कभी ऐसे सवाल हैं जो हर किसी के मन में कभी ना कभी जरूर आए होंगे। लेकिन बहुत कम लोगों को इन सवालों के सटीक जवाब पता होंगे और आज हम इस वीडियो में इन्हीं सवालों के जवाबों को बताएंगे। खतरनाक की वजह से लोग किसी के शव को दाह संस्कार के बाद उसके साथ तब तू अकेला नहीं छोड़ते। लेकिन अगर आप हमारे । तो दूसरों से पहले आपको बता देती ऐसी परिस्थितियां होती है। जब किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके शव का दाह संस्कार के लिए इंतजार किया जाता है। सबसे पहले अगर किसी इंसान के बाद सूर्यास्त के बाद होती है तो हिंदू धर्म के अनुसार के शव का दाह संस्कार अगले दिन सूर्योदय के बाद ही हो सकता है। इस दौरान उस व्यक्ति के शव को रात भर घर में ही रखा जाता है और किसी ना किसी को उसी शव की रखवाली करनी पड़ती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि उस व्यक्ति के शव को रात में जला दिया जाए तो उस व्यक्ति की आत्मा को कभी भी मुक्ति नहीं मिल पाती और उसकी आत्मा का अगला जन्म आंसू रोता, नव्या विश्वास जैसे योनियों में होता है।
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मृत्यु पंचक काल में हुई है तो पंच कार में चला जाता। जब तक पंचक काल समाप्त नहीं हो जाता, तब तक शव को घर नहीं रखा जाता है और किसी ना किसी को शव के पास रहना पड़ता है। गरुड़ पुराण सहित कई बार। लेखन यदि पंचक गाल में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके साथ उसी के खानदान में पांच अन्य लोगों की मौत भी हो जाती है। इसी डर के कारण जा संस्कार के लिए बंगाल के खत्म होने का इंतजार किया जाता है। लेकिन इसका समाधान भी है कि मृतक के साथ आटे बिशनिया कोशिश से बने पांच पुतले अर्थी पर रखकर इन पांचों को भी पूरे नियम के साथ अंतिम संस्कार किया जाए। ऐसा करने से वंचित दोष समाप्त हो जाता है। संसद काले कैसा समय होता है जो साल में 12 बार आता है। इस दौरान हम कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं कर सकते। तीसरा यह कि जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है उसका संतान उसके पास नहीं है तो व्यक्ति के तहत संस्कार के लिए उसके पुत्र या पुत्री के आने का इंतजार किया जाता है और जब तक उसका पुत्र या पुत्री वापस नहीं आ जाता, तब तक सबको घर में रखा जाता है। कहते हैं पुत्र या पुत्री के हाथों की। संस्कार होने पर मृतक को शांति मिलती है वरना उसकी आत्मा भटकती ही रहती है। आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें। किन्नर के मरने पर उसका संस्कार नहीं किया जाता है। लेकिन बताएंगे पहले आगे की बात पूरी कर ले।
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अब बात आती है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शव को एक पल के लिए भी अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता। उसके पीछे कई कारण सबसे पहला यह कि जैसे किसी इंसान की मौत होती है। उसके शरीर के अंदर तरह-तरह के और मोहन सर केमिकल एक्टिवेट हो जाते हैं और जो शरीर को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू करने से उसे शरीर तहसील सीकर निकलती है जो कीड़े मकोड़े और मांसाहारी जीवो को अपनी तरफ आकर्षित करती है। ऐसे नगर शव को अकेला छोड़ दिया जाए तो उसके आसपास कीड़े, मकोड़े, चीटियां और जीव जंतु यहां तक कि कुत्ते भी सोचने लगेंगे। इसलिए कोई ना कोई व्यक्ति बैठकर चौकी रखवाली करता है। रात में मृत शरीर को। अकेला छोड़ दिया जाए। दांत बात खटक रही बुरी आत्माएं कि उसके शरीर में प्रवेश कर सकती है और अगर ऐसा हो गया तो मृतक के साथ-साथ परिवार को कि इस भयंकर संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसका मुख्य कारण है। शव को इटली भी अकेला नहीं छोड़ा जाता, क्योंकि मृतक की आत्मा वही पर रहती है। जब तक उसका शरीर जल नहीं जाता तब तक उसका उसी शरीर से किसी ना किसी रूप से जुड़ाव रखता है ताकि वह अपने परिजनों को खुद के लिए रोते बिलखते भी दिखता है। ऐसी स्थिति में अगर किसी इंसान के शव को अकेला छोड़ दिया जाए। उसका मन और ज्यादा दुखी हो जाता है। हालांकि अधिकतर लोग मृत्यु के बाद गहरी नींद में चले जाते हैं। बहुत ज्यादा ताकतवर दिमाग वाले लोग ही मृत्यु के बाद यह जान पाते हैं कि मैं मर चुका था। कारण यह है कि हर जगह कुछ ऐसे लोग मौजूद होते हैं
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तंत्र-मंत्र पर विश्वास करते हैं। जब वह अकेले छोड़ने से कई लोग उसे मृत शरीर पर तंत्र विद्या तंत्र। कोई ना कोई शक की रखवाली करता है। अब बात आती है मृत शरीर के आसपास या चारों तरफ अगरबत्ती अशुद्धियों को क्यों जलाया जाता उसके पीछे की सबसे बड़ी। वजह यह है कि शव से निकलने वाली गंध के चलते कई तरह के बैक्टीरिया भी पनपने लगते हैं और जब के ऊपर मक्खियां भी गंदे नाले लगती है इसलिए चौक के आसपास जगह को साफ सुथरा किया जाता है और दुख के साथ ही दीपक को भी जलाया जाता है ताकि बहुत दूर तक उजाला फैला रहे क्योंकि अगर मृत शरीर को कोई जीव जंतुओं में कूड़ेदान पहुंचा देंगे तो खुद की आत्मा को मुक्ति नहीं मिल पाती। वह व्यक्ति जीवन मरण के चक्र में पूरी तरह जाता है। अब बारी है आखरी प्रश्न के जवाब का शरीर के दाह संस्कार के बाद उसकी साख को नदी में प्रवाहित किया जाता है। अगर आप सोचते हैं कि इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ आप बिल्कुल।
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इसके पीछे की वजह बहुत खतरनाक खतरनाक दर्द की वजह से लोग अपने प्रिय जनों की राह के साथ ऐसा करते हैं। व्यक्ति के शरीर की तलाश में रहता था, पूर्ण होता है। अगर शमशान थे। आप किसी मृत शरीर की राह को ले और उस इंसान का डीएनए आपके पास है तो फॉरेंसिक लैब वाले आपको यह बता देंगे कि यह राशि की रात में उस इंसान के कुछ खास होते हैं। मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को पूरी तरह से जुड़ने में 40 दिन का समय लेती है। अपने शरीर के अंग को अपने पहले के कपड़ों को और अपनी चीजों को ढूंढता है क्योंकि आप भी उसे यह एहसास नहीं होता कि यह सब छूट चुका है और अगर लोग उस इंसान की राख यात्रियों को किसी जगह। उसके आसपास मंडराती रह जाती है इसलिए क्योंकि रात को नदी में विसर्जित कर देते हैं जिससे वह पानी में विलीन हो जाए। हर संभव कोशिश की जाती है ताकि उस आत्मा को विश्वास हो जाए कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है। इसलिए
हिंदू परिवारों में जैसे किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है। जहां संस्कार के बाद उसके द्वारा अपने कपड़े कपड़े जो शरीर को छूते थे, उसे जला दिया जाता है। अनुष्ठान करते हैं। बातों से भी कपड़े जो शरीर को छूते थे, उसे जला दिया जाता है कैरियर तो दिवाली। सबसे खतरनाक बजे यह है कि जब कोई तांत्रिक अपने अनुष्ठान करते हैं करते हैं और इस काम के लिए शमशान की राख का ही प्रयोग करते हैं। ज्ञात हो कि कुछ तांत्रिक तो ऐसे भी होते हैं जो किसी खास तरह की तंत्र विद्या के प्रयोग के लिए मृत शरीर को चुरा लेते हैं। पर अपने तंत्र विद्या की मदद से वे उस मृत शरीर और उसकी आत्मा को अपने वश में कर लेना चाहते हैं ताकि उस आत्मा से तरह-तरह के बुरे कार्यों को अंजाम दिया जा सके कि जब किसी इंसान की मौत हो जाती है तो उसके परिवार के लोगों की सबसे बड़ी कोशिश रहती है कि मृत शरीर की रात किसी गलत ना पड़ जाए। लोगों को या तो किसी नदी में बहा देते हैं या फिर खेत में फैला देते हैं। कई बार तो लोग पहाड़ों पर जाकर हवा में उस रात को उड़ा भी देते हैं जिससे कोई भी जरा सी भी साथ पाकर का दुरुपयोग ना करें। लोग नहीं चाहते हैं कि उनके?
जादू टोने जैसी। बुरी चीजों का शिकार बने गाना को नदी में बहा दिया जाता है। एक बार अगर आपने ऐसा कर दिया तो कोई भी साथ को हाथ नहीं कर पाएगा तो दोस्तों कारण जिसकी वजह से किसी मृत शरीर का किला नहीं छोड़ा जाता था कि मृत शरीर के ऊपर किसी भी तरह के कीड़े मकोड़े अपने नरभक्षी पशुओं का आक्रमण ना हो सके। अमृत इंसान के चारों तरफ अगरबत्ती, धूप, बत्ती और दीपक को चला जाता है ताकि कीड़े मकोड़े सब से दूर रहें और शरीर से निकलने वाली दुर्गंध वातावरण में न फैल सके। मृत शरीर का रात के वक्त अंतिम संस्कार नहीं किया जाता था। माना जाता है कि रात के वक्त अंतिम संस्कार करने से शरीर की आत्मा को शांति नहीं मिलती और उसका अगला जन्म पर शुरू तनु या फिर अपनी सांसों के रूप में होता है और बुरे लोगों से बचाने के लिए मृत शरीर की रात तक को पंचतत्व में विलीन कर दिया जाता है ताकि मृत्य इंसान तंत्र मंत्र का उपयोग करने वाले समाज के पूर्व लोगों के बीच हंसकर
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उम्मीद करते हैं जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर आपके पास द संस्कार से जुड़े इन सवालों का और भी सटीक जवाब है और क्या आप इन सवालों का जवाब पहले से जानते थे। अपनी राय कमेंट में थे।
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