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सपना की कहानी। कहानी।

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सपना की कहानी। कहानी। 





                                                 सपना की कहानी। कहानी। 



 मनन राय का छोटा सा मकान आज रंग बिरंगी लाइटों से दुल्हन की तरह सजा हुआ था . उनकी एकलौती सुपुत्री सपना का विवाह जो था . अपने आँगन में खड़ा मनन सारी सजावट अच्छे से हो इसका ख्याल रख रहा था . उसकी पत्नी सुप्रिया दुल्हन के साथ ले जाने वाले सामान की तैयारी में जुटी थी . आँगन के बीचो बीच बांस के बने मंडप को गुलाब और गेंदे के फूलों से नई - नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया था .. मोगरे के फूलों की लड़ियाँ लगाईं गई थी . हवन कुंड रखने की जगह को सिन्दूर और रंगीन चावलों से बेहद आध्यात्मिक सजाया गया था . सजे हुए मंडप को देख मनन भाव विभोर हो उठा .. दिल के किताब को मानो असाढ़ के रिमझिम बारिस ने हल्का भीगा दिया हो..कुछ यादें उसके मन के बंद दराज़ से ऐसे निकली जैसे भीगी किताब के अक्षरों ने सियाही की बेड़ियाँ तोड़ अपनी आज़ादी की ओर कदम बढ़ा लिए हो .. सुप्रिया के पास कमरे में जा कर वो बहोत ही सुस्त सा होकर बिस्तर पर लेट गया .. " क्या हुआ जी..थक गए लगता है..अब आज का ही तो दिन है..कल से आराम करीयेगा थोड़ा सा और खींच लीजिये अपने अधेड़ शरीर को ..बस ३-४ घंटो में बरात भी आ जाएगी .. अब तक की सारी विधियां बिना किसी अर्चन के पूरी हो गई भगवान की कृपा रही तो बाराती भी खुशहाली से लोटेंगे ... " सुप्रिया अपना काम करे जा रही थी और बोले जा रही थी..५ मिनट तक जब मनन की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो पीछे मुड़ कर उसके पास बिस्तर पर जा कर बैठ गई .. " आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो जी ..सब ठीक तो है ना ..कही किसी चीज़ की कमी तो नहीं हो गई ?. " मनन ने अपना मुँह सुप्रिया की ओर फेरा , बिस्तर पे तकिया टिका कर उसके सहारे बैठ गया .. " अइसा लग रहा है कुछ साल पहले हम इसी मंडप में बैठे अपने आने वाली ज़िन्दगी की कसमें खा रहे थे.और आज अपनी सपना दुल्हन बनने जा रही है..वैसे तो अब अपनी चीज़े रख कर भूलने लगा हु पर आज भी उस दिन का एक एक पल याद है जब तुम्हे अस्पताल में भर्ती किया गया था ..4 घंटो तक असहनीय दर्द तुम अंदर सेह रही थी और तुम्हारी आहो.


से मैं बाहर छलनी हुआ जा रहा था ... फिर जब बच्चे की किलकारी सुनाई दी , मन ही मन भगवान को कोटि कोटि प्रणाम किया नर्स ने आके मेरे हाथों में मेरी बच्ची को रखते हुए बधाई दी..मैं दौड़ कर तुम्हारे पास गया . आधी बेहोशी की हालत में तुमने पूछा क्या हुआ है जी ... - हाँ और आपने कहा जिसे हम खुली आँखों से देख सके वो सपना हकीकत बन कर आई है ... सुप्रिया ने मनन की बात काटते हुए कहा . " अच्छा..आपकी भी यादास्त अभी तक बरक़रार है मोहतरमा ... हमे तो ये चेहरे की झुर्रियां देख कर लगा आपकी यादशक्ति पर भी झुर्रियां आ गई होंगी " मनन ने मंद मुस्काते हुए कहा .. " हाँध में घडी बांध कर दराज़ में अपनी घडी ढूंढने आप जाते हैं . में नहीं ..भले ४५ साल की हो गई पर आपसे तो ४ साल छोटी ही हूँ . हलके अकड़ के साथ सुप्रिया ने जवाब दिया . " कितनी जल्दी बड़ी हो गई ना हमारी सपना..उसके जन्मदिन के पहले कैसे अपनी जरूरतों की लम्बी पर्ची बना कर रख देती थी मेरे तकिये के नीचे " हाँ और आप ४ घंटे ज्यादा काम कर के ज्यादा पैसे कमाते थे और उसकी हर जरुरत पूरी करते थे..और ज्यादा समय काम करने की वजह से कभी उसकी जन्मदिन में कभी शामिल ना हो सके .. -सुप्रिया जी ऐसा लगता है अभी कल ही तो हम उसे हॉस्टत छोड़ कर आए थे पढ़ने के लिए..और आज उसके ससुरात जाने का भी समय आ गया ... एक छोटे कपडे के टुकड़े में लिपटी हुई सपना जिससे अपनी इसी गोद में बिठा कर खिलाया करता था आज लाल में इसी गोद में बिठा कर दान कर दू सुप्रिया जी ? क्यों ये दुनिया इतनी बेरहम है ? .. " मनन के गले में अब शब्द अदकने लगे थे..उसकी आँखो से धार बहने लगी.सुप्रिया के हाथों पे अपना सर टिका कर वो अपने कलेजे का भार हल्का करने लगा .. सुप्रिया ने मनन के सर पे हाँथ फेरते हुए उसे ढाढस रखने को कहा .. " अरे जीजी जीजाजी आप लोग यहाँ बैठे हैं ? .बारात निकल गई होगी . अब चलिए जल्दी से तैयार हो जाइये . सुप्रिया की बहन सुजाता ने कहा..पर दोनों में से किसी ने जवाब नहीं दिया.


ओहो..तो यहाँ अभी से आंसू बहाए जा रहे है..क्यों जीजाजी अब पता चला आपको जब जीजी आपके साथ गई थी तब हमें कितनी तकलीफ होती थी . आप तो जीजी को २ दिन के लिए भी मायके नहीं आने देते थे ..कहते थे अब यही तुम्हारा घर है , मायके से मोह माया त्याग दो ..अब देखती हूँ ना जब सपना ससुराल से आपके पास आएगी तब कैसे मोह माया त्यागते है आप..एक बार भी आपने कह दिया ना की सपना बेटी १ दिन और रुक जाओ तब आपकी खैर नहीं .. " " भैया शहनाई और बैंड वाले आ गए है मैं उनको केह दू के गाना बजाना शुरू कर दे ? " मनन के छोटे भाई मनोज ने पूछा " हाँ मनोज गाना बजाना शुरू करवा दो..सुप्रिया जी चलो हम भी तैयार हो जाते हैं ... और सुजाता तुम तो बन ठन के आ ही गई हो . जाओ सपना को तैयार होने में मदत करवा दो .. " सब तैयार होने में लग गए .. बाहर बैंड बाजे वाले राजा की आएगी बारात धुन लगातार बजाए जा रहे थे इतने शोर हंगामे में सुजाता दौड़ती हुई आई और मनन के कानो में कुछ केह कर सेहमी सी खड़ी हो गई ..मनन ने सुप्रिया को साथ लिया और सपना के कमरे की तरफ दौड़ा . मनन ने सपना के कमरे का दरवाजा खोला तो कमरे में सब कुछ अपनी जगह पर था..बस सपना के अलावा . बिस्तर पर कपडे और गहने पड़े हुए थे ... मनन ने झट से तकिया उठाया..उसके नीचे एक कागज़ का टुकड़ा रखा हुआ था . उसपर बड़े अक्षरों में पापा लिखा हुआ था मनन ने उस कागज़ को दूसरी तरफ पलटा तो बस ४ लाइन लिखी हुई थी पापा मैंने बहोत कोशिश की आकाश को भूल जाने की पर भुला ना पाई . में उसे उस गलती की सजा नहीं दे सकती जो भगवान ने की है.हमसे नीची जाती का होना उसका फैसला तो नहीं था ..तकिये के नीचे रखी हुई हर जरुरत को आपने पूरा किया है ये मेरी आखरी जरुरत है जो आप पूरा नहीं कर सके इसलिए मैं खुद इससे पूरा करने जा रही हूँ .. मनन ने जोर से आवाज़ लगाई .. ' सपना ' रात की शीतलता में पंखे के नीचे भी उसका माथा पसीने से सराबोर हो गया।

हाँ सपना ... वही सपना जो आप पिछले १५ सालों से देख रहे हैं " सुप्रिया ने पानी का गिलास मनन को पकड़ाया और अपने आँचल से उसके पसीने को पोछने लगी .. “ एक वो दिन था जब सुबह ऑफिस के लिए निकली सपना रात को घर नहीं आयी..अगर कुछ आया तो रात के १० बजे उसका फ़ोन , ये बताने के लिए की वो जा रही है..और आपने दौड़ कर अपने बिस्तर पर पड़े तकिये को हटाया तो वहाँ उसकी ये चिठ्ठी मिली .. और एक आज का दिन है , वो चिट्ठी आज भी इसी तकिये के नीचे है . अब बुला भी लीजिये ना उसे . कब तक यूँही तड़पेंगे ? सुप्रिया सिसकियाँ भर्ती हुई बोली .. “ क्या उसे हमसे प्यार सिर्फ उसकी जरूरतों तक का ही था सुप्रिया जी ? .अगर ४ सालों का प्यार २४ सालों के प्यार पर हावी हो जाए तो पीछे हट जाने में ही भलाई है..और रही बात इस चिट्ठी की तो ये मेरे सिरहाने तब तक रहेगी जब तक उसकी दूसरी चिठ्ठी ना आ जाए ... मनन ने चिठ्ठी को तकिये के नीचे रखा और लेट गया..उसके आँखों के कोने से फिसलता हुआ अश्क तकिये पर जाके सिमट गया .. ५ सालों बाद मनन के नाम एक चिट्ठी आई . " जरा मेरा चस्मा लाना सुप्रिया जी " सुप्रिया ने उन्हें चस्मा दिया और पास ही सोफे पर अपना चस्मा लगाए बैठ गई चिट्ठी के पहले पन्ने पर लिखा था..पापा..५ मिनट तक दोनों बस उस पापा शब्द को देखते रहे और आंसू बहाते रहे .. फिर दूसरी ओर देखा तो चिठ्ठी पर आज भी बस ४ ही लाइन्स लिखी थी ..पर मानो पूरी जिन्दगी पन्ने पे उतार दी थी . पापा मैं जानती हुं आज भी मेरी चिट्ठी आपके तकिये के नीचे रखी होगी . माँ सही कहती थी जो भी तुम करोगे वो दुगना होकर मिलेगा , चाहे अच्छा हो या बुरा , आपकी गोद ठुकरा कर मैं अपनी दुनिया बसाने निकली थी इसीलिए भगवन ने मेरी गोद सुन्नी ही रहने दी।



जभी निवाला उठाती हूँ ये एहसास होता है जब में आपको छोड़ कर गई तब आपके घर का खाना मेज़ पर धरा रह गया होगा . आपकी आंखे इंतज़ार में हमेशा दरवाज़े की ओर गड़ी रहती होगी , रात के १० बजे फ़ोन की घंटी बजे तो सेहम जाया करते होंगे . आपका जी करता होगा मेरे सारे कपडे खिलोने जता कर राख कर दे पर फिर मेरी आख़िरी निशानी समझ कर उन्हें संजो के रखे होंगे , दीवार से मेरी सारी तस्वीरें हटा तो दी होगी पर हर शाम उन सारी तस्वीरों से कपडा हटा कर मेरी एक झलक देख लेते होंगे , पापा का टिफ़िन बनाते समय माँ की आँखे भर आती होगी की एक टिफ़िन में और बनाया करती थी और फिर अलमारी में रखे उस टिफ़िन के बैग को जा कर एक बार निहार लेती होंगी , जब कोई माँ अपने बच्चे की ज़िद्द की कहानी बयां करती होगी तो आपको मेरी शरारते भी याद आया करती होंगी , जब रास्ते से गुज़रते हुए किसी के घर मंडप लगा देखते होंगे तो आपके कन्यादान के अधूरे सपने पतको को भीगा दिया करते होंगे . में जानती हु बहोत देरी की मैंने एक ख़त लिखने में , अगर आपने मुझे माफ़ कर दिया हो तो कल रात १० बजे में आपके फ़ोन का इंतज़ार करुंगी नंबर वही है जो आज भी आपके फ़ोन में सपना के नाम से सेव है ... मनन की आँखों के अश्क से सपना का नाम कागज़ पर धुंधला हो गया ... सुप्रिया वहीं सोफे पर रोती हुई लेटी रही . मनन उठ कर अपने कमरे में गया और तकिये के नीचे पड़ी हुई चिट्ठी को हटा कर सपना की ये चिठ्ठी रख दी..ज़मीन पे बैठ कर उसी तकिये पर अपना सर टिकाए दीवार की ओर नज़रे टिकाए देखता रहा .. रात के करीब ३ बजे सुप्रिया की अखि सहसा खुती , वो कमरे में गई तो मनन उसी स्थिति में ज़मीन पे बैठा था .. सुप्रिया ने उससे उठाया . सुनिए , अच्छे से बिस्तर पर सो जाइये - सुप्रिया ने उसके कंधो को हलके से छुआ और मनन ज़मीन पर गिर गया उस अंधेरी रात की ख़ामोशी में मनन हमेशा के लिए खामोश हो गया ... ऐसे कई मनन और सुप्रिया अपनी सपना के इंतजार में दम तोड़ देते हैं.माँ बाप अपनी ज़िन्दगी का एक तिहाई हिस्सा अपने बच्चों की जरूरतें पूरी करने में गुज़ार देते है . बच्चों का भी ये फ़र्ज़ बनता है की ये ध्यान रखें की उनकी बाकी ज़िन्दगी इत्मीनान में गुज़रे न के इंतज़ार में .।


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