मेरे भाई की दुल्हन ( भाग -2 ) " www.lovegkv.com
मेरे भाई की दुल्हन( भाग -2 ) "। Mere Bhai Ki dulhan(Part 2). My brother's bride(Part 2).
हम दोनों मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाये जहाँ हम दोनों के अलावा और कोई न हों । जिसकी दुनिया मुझसे ही शुरू और मुझ पर ही खत्म हो । शिवांगी ने खोये हुए स्वर में कहा । आरोही ने उसके कंधे पे हाथ रखकर “ इसका मतलब तुम लव मैरिज करना चाहती हो ?? शिवांगी पलटकर मुस्कराते हुए “ हाँ भी और नही भी । आरोही हैरानी से “ मतलब में कुछ समझी नही ?? शिवांगी बेड पर बैठ तकिये को अपनी गोद में रख । उसपर अपनी कोहनी टिकाकर बोली “ देखिए , हाँ इसलिए कि शादी से पहते में लड़के को जानना चाहती हूँ । उसे समझना चाहती हूँ । खुद को जानने का मौका देना चाहती हूँ । और यह सब लव मैरिज में ही पोसिबल है । और नही इसलिए कि में अपनी जिंदगी में सब कुछ अपनी मम्मी - पापा की मर्जी से करना चाहती हूँ । इसलिए जिस काम में उनका दिल दुखे मैं वो काम नहीं करना चाहती । उन्होंने हमेशा मेरा सपोर्ट किया है अब मैं उनकी ज़िन्दगी में दुखों को अँधेरा लाकर कैसे अपनी ज़िंदगी में खुशियों का उजाला कर दूँ । यह तो सही नही है न ?? बस इसलिए इस मामले में खुद ही कन्फ्यूज्ड हूँ । " " कह तो तू सही रही हैं , पर कुछ भी हो में तो यही दुआ करूँगी कि तुझे तेरा वाला जल्दी ही मिल जाये । आरोही उसके पास बैठ बोली । शिवांगी खुशी से उसके गले लगकर कहती हैं " ओह भाभी आय लव यू । आप और मम्मी - पापा ही तो है इस घर में जो मुझसे प्यार करते हैं वरना आपके पति है न वो तो मुझे तंग करने का एक मौका नहीं छोड़ते । "
इंसान को झूठ उतना ही बोलना चाहिए जितना हजम हो सके । आनंद ने अंदर आते हुए कहा । “ आपसे कौन बात कर रहा हैं आप बीच में मत पड़िये । शिवांगी ने उठते हुए कहा । आनंद उसके पास आकर " अच्छा बाबा , ठीक है नही आऊँगा दसा अब तू जा मुझे आरोही से कुछ बात करनी है । शिवांगी मुस्कराकर " ओह , तो बात करनी है । तो मेरे सामने ही कर Iइतना कह तो आनंद और आरोही को देखने लगी । अगर तेरे सामने करनी होती तो कब की कर लेता । अब जा न यार । आनंद तगभग चिढ़ते हुए बोला । शिवांगी उसे देख हँसने लगी और कहा " अच्छा , ऐसी कोनसी प्राइवेट बात है । जो आपको करनी है । जो बोलना है मेरे सामने बोलिये । में कहीं नही जाने वाली । इतना कह वो बेड पर बैठ गयी । आनंद , आरोही की ओर देखने लगा जो उसे ही मुस्करा कर देख रही थी । " तो तू नही जाएगी ?? आनंद ने पूछा । नही शिवांगी बोली । ठीक है । अब तू गयी । " इतना कह वो उसकी ओर बढ़ गया । शिवांगी उसे अपने पास आता देख बचकर रूम से बाहर भाग गयी । आनंद उसे जाता देख आरोही के पास आता है । पापा बनने वाते है आप अब तो ऐसी बच्चों जैसी हरकते करना बंद कीजिए । क्या सोचेंगे सब लोग ?? " आरोही थोड़े गुस्से से बोती । आनंद उसके गालों को छूकर मुझे किसी और के नही तुम्हारे सोचने से फर्क पड़ता है । तुम क्या सोचती हो ?? " आरोही अपनी पलकें झुका लेती है । आनंद उसे ऐसे देख उसके करीब आकर उसके माथे को चूमता है और अपने घुटने के बत बेठ बेबी बम्प पर हाथ रखकर मुस्कराते हुए कहता है पापा आ गए है बेबी एंड पापा रियली मिस्ड यु । " आरोही यह सुन मुस्काराने लगती है । आनंद खड़ा होता है । बेबी ने भी आपको बहुत मिस किया है । और मैंने भी । इतना कह आरोही की आँखे नम होने लगती है । आनंद उसके आँसू पोछ उसे गले लगाने वाला होता है कि तभी शिवांगी आ जाती है । अरे ! कैसे हो आप लोग इतना भी नहीं पता रोमांस बंद कमरे में किया जाता है । गेट खोलकर नही । शिवांगी की आवाज़ सुन वो दोनों हड़बड़ा जाते है । . " तू अभी तक गयी नही । आनंद ने कहा । मैं तो आपके बारे में सोचकर ही यहाँ आयी थी । एक तो भलाई करो ऊपर से डॉट भी खाओ । जा रही हूँ , अच्छे से वक़्त बिताइए भाभी के साथा में डिस्टर्ब नही करूँगी । नाउ यु टेक योर टाइम । बाय । " इतना कह वो जाने लगी । आनंद , आरोही को फिर से गले लगाने लगा कि शिवांगी फिर मुड़कर बोली "
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अरे ! वो गेट बंदकरना भूल गयी । " यह सुन आनंद गुस्से से उसकी ओर बढ़ा ही था कि शिवांगी ने झट से गेट लगा दिया । आरोही यह देख फिर से हँसने लगी । और शिवांगी फिर वहाँ से रूम की ओर भाग गयी । “ यह लडकी न सच में .... इतना कह वो भी हँसने लगा और आरोही के पास आकर उसे गले लगा लिया । वही दूसरी ओर अथर्व और रौनक मुस्कराते हुए सीढ़ियों से नीचे आ रहे थे । नीचे आते ही उनके कदम रुक गए । क्योंकि कोशल्या गुस्से से डाइनिंग टेबल पे बैठ उन दोनों को ही घूर रही थी । यह देख वो दोनों एक दूसरे की ओर देखने लगे । अधर्व कौशल्या की ओर देख धीरे से “ आज तो बहुत गुस्से में लग रही हैं । तूने कुछ ज्यादा ही नाराज़ कर दिया है । " रौनक भी उसी अंदाज में भाई , मेरा तो रोज़ का है । मेरी वजह से इतनी नाराज़ नही हो सकती है दादी माँ । यह नाराज़गी ब्रेकफास्ट पर लेट पहुँचने की है । अथर्व कुछ सोचकर " अब बातों से तो यह मानने नही वाली । लगता है अब फॉर्मूला नंबर फिफ्टीन यूज़ करना ही पड़ेगा । क्या कहता है ?? " यह सुन रौनक शरारत भरे अंदाज़ में बोला “ कहना क्या है भाई , कर ही देते है । इतना कह उसने अपनी बायीं आँख दबा दी । वो दोनों मुस्कराते हुए कौशल्या के पास आये । और उनके अगल - बगल जाके खड़े हो गए । उन दोनों ने एक दूसरे को देखकर इशारा किया । कोशल्या जिस चेयर पे बैठी थी । उसे उठा लिया और घुमाने लगे । कौशल्या घबराकर यह क्या कर रहे हो ?? गिर जाऊंगी में नीचे उतारो चेयर को । " रौनक मुस्कराकर “ अरे - ऐसे गिरने देंगे हम आपको । आप हमारे मजबूत हाथों में है । और जब तक आपका मूड ठीक नही हो जाता । हम चेयर ऐसे ही घुमाते रहेंगे । " अथर्व यह सुन मुस्करा देता है । मेरा मूड ठीक है । अब उतारो मुझे चक्कर आ रहे है । वो दोनों यह सुनते ही चेयर घूमाना बंद कर देते है । और उसे वापस उसी जगह पर रख देते है । कोशल्या अपना एक हाथ अपने सर पे रख लेती है । उन्हें चक्कर आ रहे थे । वो उन दोनोंदेखती हैं और खड़ी हो जाती है । कौशल्या को अपने पास आता देख वो दोनों अपना सर झुका लेते है । “ क्या था यह ?? बिटु का तो समझ में भी आता है पर तू अथर्व , तू भी इसके साथ बच्चा बन गया है । कौशल्या सख्त लहजे में अथर्व की ओर देखकर कहती है । अथर्व नज़रें उठाकर कौशल्या की ओर देखकर कहता है " दादी माँ हम तो बस आपका मूड ठीक करना चाहते थे .... अथर्व ने इतना कहा ही था कि कौशल्या हँसने लगी । उन्हें हँसता देख वो दोनों उन्हें हैरानी से देखने लगे । कौशल्या अथर्व के गालों को छूकर " तू कितनी जल्दी सीरियस हो जाता है ।
मजाक भी नही समझता अपनी दादी माँ का । " इतना सुन रौनक खुशी से कौशल्या को गले लगा लेता है । अथर्व भी मुस्कराने लगता है । कौशल्या उसे अपने पास आने का इशारा करती है । अथर्व भी उनके पास आकर उन्हें गले लगा लेता है । दोनों टाइटली उन्हें हग कर लेते है । कौशल्या मुस्कराकर अथर्व के सर पर हाथ फेरकर " आज फिर से मुझे मेरा बचपन वाला अथर्व देखने को मिला । जो बहुत ही शरारती और ... “ दादी माँ , नाश्ता ठंडा हो रहा है चलिए । " अथर्व ने उन्हें टोककर कहा और उनसे अलग होकर डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ गया । यह सुन कौशल्या और रौनक एक दूसरे को देखने लगे । फिर वो भी उसके पीछे - पीछे डाइनिंग टेबल तक आ जाते है । सब अपनी - अपनी जगह बैठ जाते है । रौनक माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए कहता है " शांता काकी , क्या बनाया है आज नाश्ते में ?? " शांता हाथ में एक बाउल लेकर आते हुए बोलती है " आप खुद ही देख लीजिए बाबा । " अथर्व भी मुस्करा देता है । रौनक जैसे ही डाइनिंग टेबल पे रखे एक बाउल का ढक्कन हटाता है तो हैरान हो जाता है और अधर्व की ओर देखने लगता है , जो बाउल की ओर ही देख था ।
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कोशल्या भी आज खाने में बने आलू गोबी और भिंडी की सब्जी देख हैरान हो जाती है । वो रोनक की ओर देखती है और फिर अधर्व की ओर । तभी नरेन शर्ट की बाजू चढ़ाए अपनी चेयर पर आकर बैठ जाता है और कहता है “ सॉरी , सॉरी थोड़ा लेट हो गया । उनकी आवाज़ सुन अथर्व की तंद्रा टूटी । रौनक और कोशल्या की नज़र अब भी अथर्व पर थी । अथर्व अगले ही पत मुस्करा देता है और कहता है कोई बात नही डेड , वैसे भी अभी हमने शुरू नही किया है । सो जस्ट रिलेक्स । रोनक और कोशल्या अथर्व के चेहरे के भावों को समझने की कोशिश करने लगे । अभी कुछ देर पहले जिस चेहरे पर कोई भाव नही थे । उस पर अब अचानक से एक मुस्कराहट आ गयी थी । सही था अथर्व को समझना उनके बस की बात नही थी । " फिर सही है । शांता जल्दी से नाश्ता लगाओ । " नरेन ने प्लेट को सीधा करते हुए कहा । शांता सबको नाश्ता परोसने लगी । नरेन ने जब अपनी प्लेट में आलू गोबी और भिंडी की सब्जी देखी तो कहने लगे " अरे ! वाह आज तो सुगंधा की पसंद का खाना बना है । यह सुनते ही अथर्व के खाते हुए हाथ रुक गए । रौनक और कौशल्या फिर से अथर्व की ओर देखने लगे , जिसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था । नरेन को जब एहसास हुआ कि उसने क्या कह दिया है । तो वो भी अधर्व को देखने लगा । यह सुनते ही अथर्व को एक्सीडेंट वाला लम्हा याद आने लगा । और उसने अपनी आँखें बंद कर ली । वो तीनो कभी एक दूसरे को देखते तो कभी अधर्व को । शांता भी हैरानी से सबको देख रही थी । अथर्व ने निवाला प्लेट में रखा और उठकर अपने रूम में चल गया । माहोल एक दम शांत हो गया था । नरेन क्या जरूरत .... जैसे ही कौशल्या ने कुछ कहना चाहा रौनक ने उनका हाथ पकड़ लिया और पीछे देखने का इशारा किया । जब कोशल्या ने पीछे देखा तो पाया कि अथर्व लेपटॉप लिए उनकी ओर चला आ रहा था ।
अधर्व अपनी चेयर पे बैठा । और तैपटॉप खोत काम करने लगा । उसे ऐसे देख सब फिर हेरान थे । अथर्व ने सबको एक नज़र देखा और मुस्कराकर कहा क्या हुआ , आप सब इतने शांत क्यों है ?? नरेन ने कुछ कहना चाहा कि अथर्व उसे रोकते हुए कहने लगा डेड आप हँसते हुए ही अच्छे लगते है । इस तरह सीरियस मत हुआ कीजिये । इतना बोलकर वो तैपटॉप पर मेत्स चेक करने लगा । सब उसे ऐसे देख फिर हेरान थे पर खुश भी कि वो नॉर्मल था । ' डैड . मुझे अच्छे से पता है कि किस बात पे रियेक्ट करना चाहिए और किस पे नही । वक़्त ने इतना तो सीखा ही दिया है । सो यू डोंट वरी । अधर्व ने मुस्कराकर नरेन की ओर देखकर कहा । और आप सब पता नहीं क्या - क्या सोचते रहते है । मैं रूम में इसलिए गया था क्योंकि एक जरूरी मेल आने वाती थी । उसे चेक करना था इसलिए लेपटॉप ही यहाँ ते आया । उसकी यह बात सुन रोनक ओर कोशल्या नज़रे चुराने लगे । और नरेन उन्हें देख मुस्कराने लगे । शांता भी माहीत को शांत देख अधर्व की ओर देखकर मुस्करा देती है । अधर्व और नरेन को अपनी ओर मुस्कराता देख वो दोनों खाना खाने लगे । जैसे ही वो खाना खाने लगे अथर्व ने उन्हें रोकते हुए कहा “ कोई नाश्ता नहीं करेगा । इतना कह वो फिर से लैपटॉप में देखने लगा । रीनक और कोशल्या का मुंह बन गया । कोशल्या देसद्र होकर क्यो ?? क्यों नही खा सकते ?? " अथर्व स्क्रीन की ओर देखकर माहिर आ रहा है । सोचा जब वो आ ही रहा है तो साध मेखा लेंगे । " क्या ? दो पकाऊ यहाँ क्यों आ रहा है ?? कौशल्या ने हैरान होते हुए कहा । " दादी मा.एक मिनट रोनक ने कौशल्या को बीच में रोका और अधर्व को देख कहने लगा भाई पर वो तो आउट ऑफ राउन गए धेना क्या उनका काम खत्म हो गया ?
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हम्म " अथर्व अब भी स्क्रीन की ओर ही देख रहा था । “ पहले ही लेट हो चुका है अथर्व , उसकी राह देखते - देखते कही हमें सुबह का नाश्ता दोपहर को न करना पड़े । तूने उसे बुलाया ही क्यों ?? " कौशल्या ने कहा । " दादी माँ , वो बस आने ही वाला है । और आपको तो पता ही है कि वो जब भी कही जाता है लौटने के बाद सीधा यही आता है । इसलिए हमें उसका वैट करना होगा । " अथर्व ने टाइपिंग करते हुए कहा । सब अथर्व का आदेश सुन कोहनी टेबल से टिकाये , अपने चेहरे हाथों पे रख चुपचाप माहिर का इंतज़ार करने लगे । शांता उन सबको देख वापिस किचन में चली गयी । रौनक कुछ सोचकर " भाई , आपको कैसे पता कि माहिर भाई अभी ही आने वाले है ?? उन्होंने फ़ोन किया था आपको ?? " " नही " अथर्व ने कहा । रौनक सीधा बैठकर " तो फिर आपको कैसे पता कि वो अभी ही आयेंगे । इतना कॉन्फिडेंस खुद पर कैसे ?? " यह सुनकर अथर्व की टाइपिंग करती हुई उंगलियाँ रुक गयी और उसने एक नज़र रौनक को मुस्कराकर देखा । और फिर से अपना ध्यान स्क्रीन पर लगा लिया । “ बताइये न भाई , क्यों सस्पेंस क्रिएट कर रहे है ?? " अधर्व स्क्रीन की ओर देखकर मुस्कराते हुए " 3 से 1 तक उल्टी गिनती गिन । " " क्या ?? पर क्यों ?? " रौनक हैरानी से । नरेन बेचैन होकर " अथर्व वो तुझसे क्या पूछ रहा है और तू क्या जवाब दे रहा है । " अधर्व मुस्कराते हुए नरेन की ओर देखकर डैड , यह आप भी जानते हैं कि में कोई भी बात बिना मतलब नही कहता । " इतना कहकर जहाँ अथर्व के चेहरे पर मुस्कराहट थी वही बाकी सबके चेहरे पर हैरानी थी । नरेन ने रौनक को इशाराकिया । तो रोनक समझ गया और काउंटिंग करने लगा । रोनक , अथर्व की ओर देखकर " तीन .... दो..ए .... " हेलो , एवरीवन । कैसे है आप सब ?? " तभी पीछे से एक लड़के की आवाज़ आयी । जहाँ कौशल्या और नरेन लड़के की ओर देखने लगे वही रौनक हैरानी से अथर्व को देखने लगा । जो अब भी मुस्कराकर लैपटॉप में ही देख रहा था ।
जैसे उसे पता हो कि रौनक उसे ही देख रहा है । रौनक मुस्करा दिया और जाके उस लड़के के गले लग गया । " माहिर भाई , आइये सब आपका ही इंतज़ार कर रहे थे । " रौनक ने माहिर को चेयर पे बिठाया । " मेरा इंतज़ार ?? पर मैंने तो किसी को बताया भी नही था कि मैं आज ही इनफैक्ट अब ही आने वाला हूँ । तो तुम्हें कैसे पता चला ?? " माहिर ने चेयर पर बैठते हुए पूछा । रौनक , अथर्व की ओर देखकर मुस्कराते हुए “ बस पता चल गया । " जब माहिर ने रौनक को अथर्व की ओर देखता पाया तो उसे भी सब समझते देर नहीं लगी और वो भी मुस्कराने लगा । शांता भी माहिर की आवाज़ सुन किचन से बाहर आयी और उसके लिए नाश्ता परोसने लगी । अथर्व लैपटॉप बंद करते हुए " चलो जल्दी से नाश्ता कर लेते है । फिर हमें ऑफिस के लिए भी निकलना है । माहिर तुझे पता है आज खाना मॉम की पसंद का बना है । “ क्या बात कर रहा है । फिर तो मैं आज जम कर खाऊंगा । " माहिर ने खुशी से दोनों हाथों को रगड़ते हुए कहा । “ क्यों , फ्लाइट में खाने को नहीं मिला था क्या ?? " कौशल्या ने चिढ़ते हुए उसे घूरकर कहा । यह सुन नरेन और रौनक कीहँसी छूट गयी तो वही अथर्व भी साइड में देख अपनी हँसी कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा ।
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माहिर ने एक नज़र अथर्व को देखा फिर कौशल्या से कहने लगा “ दादी माँ , अब आप ही बताइए फ्लाइट में घर के खाने जैसा स्वाद कहाँ ?? और जहाँ आप जैसी इतना प्यार करने वाली दादी माँ हो तो भूख तो लगनी ही है । क्यों अथर्व सही कह रहा हूँ न ?? " अथर्व बस मुस्करा दिया और सब नाश्ता करने लगे । कौशल्या , रौनक के पास ही बैठी थी । वो उससे धीरे से बोली “ इस भुक्कड़ के चक्कर में लेट हो गया । वरना अथर्व अब तक तो ऑफिस के लिए कब का निकल चुका होता । और हमारा काम भी हो चुका होता । पर कही इसकी वजह से सारी मेहनत पर पानी न फिर जाए । " " डोंट वरी , दादी माँ अभी भी इतना लेट नही हुआ है । भाई के जाते ही हम अपना काम स्टार्ट कर देंगे । " रौनक ने भी धीरे से कहा । अथर्व की नज़र उन दोनों पर गयी । उन दोनों को आपस में ही बात करता देख वो कुछ सोचने लगा । फिर अचानक से उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी और वो नाश्ता करने लगा । वही शिवांगी अपने रूम में एक नॉवेल पढ़ रही थी कि तभी उसके फोन की बेल बजी । उसने फोन रिसीव करते हुए कहा " हाँ , संगीता बोल । " दूसरी ओर से संगीता की आवाज़ आयी " तू परसो फेयरवेल के लिए आ रही है न ?? शिवांगी ने बुक साइड में रख उठते हुए कहा “ नही यार , मुझे नही आना । मुझे यह सब पसंद नही है । तुम लोग ही एन्जॉय करो । " संगीता उसे मनाते हए यार , ऐसा क्या कर रही है आजा न । मजे करेंगे । और वैसे भी यह लास्ट टाइम है हम सबकाएक साधा और यह टाइम हमें साथ में मिलकर एन्जॉय करना चाहिए ना शिवांगी रूम में टहलते हुए नही मेरा मन नही है ।
संगीता उससे चिढ़ते हुए " आजा न यार । क्यों इतना भाव खा रही है ?? तुझे पता है हमारे प्रिंसिपल ने किस स्पेशल पर्सन को फेयरवेल में इनवाइट किया है । " शिवांगी उत्सुकता से किसे ?? " ऐसे नहीं बताऊँगी पहले हाँ बोल फिर ही यह राज खुलेगा । " संगीता ने मुस्कराते हुए अपने पास खड़ी दोस्त को हाईफाई देते हुए कहा । शिवांगी बेड पर बैठकर यह गलत बात है । तू मुझे इस तरह से ब्लैकमेल नही कर सकती । " संगीता हैंसते हुए अगर इस तरह ब्लैकमेल करने से तू आ जाती है तो यही सही । " शिवांगी ने हार मानते हुए कहा ठीक है में आ रही हूँ , मगर यह मत समझना कि मैंने नाम जानने के लिए लिये हाँ कहा है । वो में बस तुम लोगों की लिए आ रही हूँ । संगीता मुस्कराकर ठीक है मैडम , आप आ रही है हमारे लिए वही काफी है । " शिवांगी उसकी इस बात पे मुस्करा देती है और कहती है ठीक है बाय । संगीता उसे रोककर “ क्या बाय , जानना नही चाहेगी वो स्पेशल पर्सन कौन है ?? " शिवांगी फिर से बुक लेकर जब परसो आऊँगी तो अपने आप पता चल जाएगा । इसलिए नाम जानकर क्या करूँ । रखती हूँ बाया संगीता उसे रोककर “ अरे ! किस बात की तुझे इतनी जल्दी है । रुक जा । बिना नाम बताए तो मैं तुझे फ़ोन नही रखने दूंगी । " शिवांगी पेज पलटकर " तू कुछ ज्यादा ही एक्ससाइटेड लग रही हैं बताने के लिए ।
चल बता ही दे ऐसे कौनसे स्पेशल पर्सन को सर ने इनवाइट किया है ?? " संगीता मुस्कराकर “ अथर्व सिंघानिया । " यह सुन शिवांगी के पेज पलटते हुए हाथ रुक गए । संगीता मुस्कराते हुए रह गयी न हैरान ?? " शिवांगी कहने लगी पर पिछली बार तो उन्होंने आने से मना कर दिया था तो इस बार ऐसा क्या हो गया जो मान गए ?? " संगीता उसकी बात का जवाब देने लगी “ माने नहीं है लेकिन इस बार उनके आने के चांसेस है । ताकि हमारे आने वाले फ्यूचर के लिए वो हमें मोटीवेट कर सके । शिवांगी यह सुन कुछ सोचने लग जाती है । सुना है कि बहुत ही हैंडसम है वो बट अभी तक सिंगल है । स्ट्रेज न ?? " संगीता ने खोये हुए कहा । ठीक है बाय , मैं फोन रखती हूँ । " इतना कह उसने फ़ोन कट कर दिया । " अरे ! सुन तो ... बोरिंग पर्सन । संगीता ने बड़बड़ाते हुए कहा । वही शिवांगी अथर्व का नाम सुन मुस्कराने लगी और उसने फिर से अपना ध्यान नविल में लगा लिया । वही दूसरी ओर अथर्व और माहिर ऑफिस के लिए जाने लगे । अथर्व आगे - आगे चल रहा था तो माहिर उसके पीछे - पीछे । क्योंकि वो रौनक , नरेन और कौशल्या को इशारों ही इशारों में कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था । कुछ देर में वो दोनों बाहर आकर ऑफिस निकलने के लिए कार में बैठकर चले गए ।
अथर्व फ्रंट सीट पे था तो माहिर उसके बगल में बैठा था । अथर्व ने उसे एक नज़र मुस्कराकर देखा और ड्राइव करने लगा । यहाँ सिंघानिया हाउस में जैसे ही अथर्व बाहर गया । सबमें न जाने कैसी फुर्ती सी आ गयी और सब सोफे पर आकर बैठ गए । रौनक , नरेन और कौशल्या सोफे पर बैठे हुए थे । शांता भी मुस्कराते हुए उन लोगों के पीछे खड़ी हो गयी । रौनक के हाथ में कुछ पेपर्स थे । उसने साइड में रखे एक टेबल पर पेंसिल बॉक्स से एक पेंसिल उठायी और उसे अपने होठों के बीच रखकर बड़े स्टाइल से कहा " लडकियों को पेश किया जाए । " यह सुनते ही उसके पास में बैठी कौशल्या को गुस्सा आया और उन्होंने उसके सर पर मारते हुए कहा “ खुद को कही का गुंडा समझता है या फिर अकबर - ए - आजम जो लड़कियों को पेश किया जाए बोल रहा है । थोड़ा तमीज से बात कर । " उनकी मार पड़ते ही रौनक के मुँह से पेंसिल निकलकर नीचे गिर गयी । यह देख शांता मुँह पे हाथ रखे हँसने लगी । नरेन भी मुस्करा उठा ।
रौनक गुस्से में “ क्या दादी माँ , फील तो आने दिया होता कम से कम । कौशल्या मुस्कराते हुए “ बेटा , अभी तेरी फीलिंग की जरूरत नहीं है बल्कि तेरे भाई की अंदर की फीलिंग को जगाने के लिए एक लड़की की जरूरत है । तो उसे ढूँढे । रौनक मुँह फुलाकर " हम्म " । तभी सामने से 8-10 लड़कियाँ आ गयी । और उन सबके सामने एक कतार में आकर खड़ी हो गयी । उन लड़कियों में किसी ने इंडियन तो किसी ने वेस्टर्न ड्रेस पहन रखी थी । सब एक से बढ़कर एक थी । नरेन , रौनक और शांता जहाँ उन सबको मुस्कराते हुए देख रहे थे । वही कौशल्या वेस्टर्न ड्रेस वाली लड़कियों को देख थोड़ी चिढ़ गयी और बड़बड़ाने लगी । " इन लड़कियों को कपड़े पहनने का ढंग नही हैं क्या ?? " कौशल्या ने थोड़े गुस्से से एक वेस्टर्न ड्रेस पहन लड़की को देख रौनक को धीरे से कहा । रौनक मुस्कराता हुआ बोला “ दादी माँ , यह आज कल का ट्रेंड है । एंड व्हिच इज नॉर्मल । " कौशल्या उसे देखकर “ होगा नॉर्मल लेकिन मैं अपने अथर्व के लिए तुझे यह लड़कियाँ पसंद नही करने दूंगी । " रौनक उन्हें साइड से हग करते हुए " ठीक है दादी माँ , आपका हुक्म सर आँखों पर । अब अगर आपकी आज्ञा हो तो इनके पास जाकर थोड़ी वार्तालाप कर लूँ । " कौशल्या ने हाँ में अपना सर हिला दिया । रौनक मुस्कराते हुए उठा । पर जैसे ही वो उठा उसका पैर नीचे पड़ी पेंसिल से फिसल गया । तभी सामने से एक लड़की के ने आकर उसे संभाल लिया । रौनक ने उस लड़की को देखा जो उसे ही मुस्कारा कर देख रही थी । उन दोनों को साथ देख कौशल्या का तो मुँह ही खुल गया । वही नरेन इधर - उधर देखने लगा । और शांता ने अपनी आँखें ही बंद कर ली । सारी लड़कियाँ भी हैरानी से उन दोनों को देखने लगी ।
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रोनक को जब एहसास हुआ तो वो उस लड़की का हाथ अपनी बाँह से हटाने लगा । पर वो लड़की कुछ ज्यादा ही फ्रेंडलीएक्सक्यूज़ मी , क्या आप मेरा हाथ छोड़ेंगी । रौनक ने हिचकिचाते हुए कहा । वो लड़की जेसे होश में आई और कहने लगी -आप ठीक तो है न ?? " रौनक उन तीनों की ओर देखकर अभी तक तो था । आगे का पता नही। “ जी ?? " लड़की ने पूछा । रौनक हल्का सा हँसता हुआ कहने लगा “ कुछ नही । इतना कह उसने अपना हाथ उस तड़की की पकड़ से छुड़ा लिया । और आगे बढ़ गया । वो लड़की भी अपनी जगह पे आकर खड़ी हो गयी । वो अब भी रोनक को ही देख रही थी । रौनक सब लड़कियों से बात करने में लग गया । या कहे अपनी भाई की दुल्हन हूँढने में लग गया । वही अथर्व कार ड्राइव कर रहा था । और माहिर अपने फ़ोन में बिजी था । अथर्व की नज़र कभी सामने होती तो कभी माहिर पर । वो बस उसे देखकर मुस्कराए जा रहा था । अचानक से अथर्व ने माहिर को देखते हुए ब्रेक लगा दिया । अचानक से ब्रेक लगने पर माहिर हैरान हो गया और अथर्व की ओर देखने लगा । उसने उसे इशारे से पूछा पर अथर्व बस उसे मुस्कराते हुए देखे जा रहा था । " मैं जानता हूँ तेरी स्माइल बहुत अच्छी है । मगर यह मुझे क्यों दिखा रहा है । और यह कार क्यों रोकी ?? " अथर्व ने अब भी कुछ नहीं कहा । माहिर परेशान होकर " तू मुझे देखकर इतनी स्माइल क्यों रहा है ?? कही मेरे चेहरे नही है ?? " इतना कह वो फ्रंट मिरर में अपना चेहरा देखने लगा । कुछ लगा तो "
कुछ भी तो नही लगा हुआ । फिर क्यों मुस्करा रहा है ?? " माहिर ने अथर्व की ओर देखकर कहा । अथर्व ने कोई जवाब नही दिया और मुस्कराते हुए कार को यू टर्न दे दिया । माहिर ने जब यह देखा तो कहने लगा अरे ! कहाँ जा रहा है ?? - अथर्व ने सामने की ओर देख कहा " घरयह सुन माहिर की सिट्टी - पिट्टी गुम हो गयी । पर फिर वो अपने आपको संभाल कर बोला “ क्यों ?? घर क्यों जाना है ?? " अथर्व स्टेरिंग घुमाते हुए " कुछ भूल गया था । " माहिर उसे शक भरी निगाह से देखते हुए " क्या ?? " अथर्व उसकी ओर देखकर मुस्कराते हुए " कुछ कहना भूल गया था बस वही कहने जा रहा हूँ । " माहिर हल्का सा हँसते हुए " तो फ़ोन कर के कह दे न । उसके लिए घर जाने की क्या जरूरत है ?? खामख्वाह जा रहा है तू तो । " माहिर अपने चेहरे के भाव को छुपाने की कोशिश करने लगा । अथर्व ने मुस्कराते हुए सामने की ओर देख कहा “ फेस टू फेस कहने में जो मजा है वो फ़ोन में कहाँ ?? " " मजा ?? ऐसा क्या कहना है तुझे ?? " माहिर लगभग डरते हुए बोला । अथर्व उसकी ओर देखकर “ थोड़ा पेशेंस रख सब पता चल जाएगा । और अब कोई सवाल नही । ओके । "
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- देशी गजब की जॉक
- POLICE STATION RELATIVE LETTER
उसकी यह बात सुन माहिर एक कठपुतली की तरह अपना सर हिला देता है । " गुड " अथर्व इतना कह सामने की ओर देखने लगा । माहिर खुद से ' बिटु को बताना होगा अथर्व घर आ रहा है । मगर कैसे अगर इसके सामने फ़ोन किया तो इसे शक होना तय है । क्या करूँ ?? कुछ समझ नही आ रहा ?? " कुछ ही देर में अथर्व ने सिंघानिया हाउस पे आकर अपनी कार रोकी । और बाहर आकर अंदर की ओर बढ़ने लगा । माहिर उसे जाता देख घबराने लगा । माहिर बड़बड़ाते हुए “ यही सही मौका है बिटु को फ़ोन करने का । " इतना कह वो रौनक को फोन करने लगा । यहाँ रौनक का फ़ोन बजने लगा । कौशल्या उसके फ़ोन के पास ही बैठी थी । रौनक ने फ़ोन कौशल्या को उठाने को कहा । जबकोशल्या ने माहिर का नाम स्क्रीन पर देखा तो उसका मुँह बन गया । नरेन की भी नज़र फ़ोन पर गयी । “ क्या हुआ माँ ?? फ़ोन उठाइये माहिर का है । " नरेन ने कौशल्या से कहा । कौशल्या ने कहा “ तभी तो नही उठा रही । नरेन कहने लगे “ माँ हो सकता है कुछ इम्पोर्टेन्ट काम हो । लाइये मुझे दीजिये । " कौशल्या फ़ोन दूर करते हुए “ बिल्कुल नही । यह पकाऊ पकाने के लिए ही फ़ोन कर रहा होगा । मैं नही देने वाली बिटु को । वो उसे उसका काम करने नहीं देगा । " नरेन अपनी माँ के आगे हार गए और उन्होंने रौनक को आवाज़ लगायी । रोनक उनके पास आया “ जी डैड । नरेन कौशल्या से फोन लेकर " माहिर का फोन है । ले बात कर । " रौनक हैरानी से " माहिर भाई का ?? " नरेन ने जवाब में अपना सर हिला दिया । रौनक फ़ोन रिसीव कर कहने लगा “ हाँ माहिर भाई । " “ थेंक गॉड , तूने फोन उठा लिया । " माहिर ने बेचैन होकर कहा । रौनक हैरानी से " हुआ क्या है । सब ठीक तो है न ?? " माहिर अथर्व की ओर देखकर “ अथर्व आ रहा है । "
। दोस्तों मैं आप से उम्मीद करता हूं पति-पत्नी की कहानी पढ़कर वह अच्छा लगे होंगे अगर आपको पसंद आया वह तो अपने दोस्तों और फैमिली के साथ शेयर करें ताकि उन उन तक भी या जानकारी पहुंच पाए धन्यवाद
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