Dhanteras kab hai | धनतेरस कब है 2022
नमस्कार दोस्तों आज हम बताने जा रहे धनतेरस कब है धनतेरस क्यों मनाते हैं धनतेरस दिवाली के शुरू होने से 2 दिन पहले मनाए जाते हैं शास्त्रों के अनुसार भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इसे धनतेरस के रूप में हम लोग मनाए जाते हैं इसके बाद छोटी दिवाली दिवाली गोवर्धन पूजा किया जाता है।
Dhanteras kab hai - धनतेरस कब है 2022
धनतेरस क्यों मनाया जाता है।
देखिए दोस्तों धनतेरस एक ऐसा तैयर है जो कि मां लक्ष्मी जी को पूजा करके लोग बनाए जाते हैं ऐसा माना जाता है कि इस दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा के जनक संतुलित देव समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए धनतेरस के दिन तक जयंती भी कहा जाता है जब समुद्र मंथन से धनतेरस प्रकट हुआ तो उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था इसी वजह से धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा लगी हुई है और कई साल से लगा हुआ कि धनतेरस के लिए लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था इसका नाम धनतेरस पड़ा था तेरी देवताओं के चिकित्सक इसलिए इस दिन को आयुर्वेदिक दिवस भी कहा जाता है धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी धनतेरस देवताओं की पूजा की जाती है यह त्योहार दीवाली से 2 दिन पहले मनाया जाता है इस दिन उनके साथ कुबेर देवता और राज की भी पूजा की जाती है कहते हैं इस दिन की दक्षिण दिशा में दीपक दान करने में अकाल मृत्यु का रोग समाप्त हो जाता है।
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धनतेरस 2022 कब है।
धनतेरस का त्यौहार दिवाली के शुरू होने से 2 दिन पहले मनाए जाते हैं शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था इसलिए इसे धनतेरस के नाम से परिवार के रूप में मनाया जाता है इसके बाद छोटी दिवाली उस पर पड़ी दिवाली तीसरा नंबर में गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व किया जाता है इस त्यौहार को धन वितरित भी कहा जाता है धनतेरस के रूप में मनाए जाते हैं।
धनतेरस शुभ मुहूर्त 2022।
धनतेरस की तिथि और वार। 22 अक्टूबर 2022 दिन शनिवार
धनतेरस पूजा मुहूर्त। शाम 7:01 रात्रि आठ बजकर सत्रह मिनट तक।
पूजा की विधि। एक घंटा 16 मिनट तक।
धनतेरस आनी अपने धर्म को 13 गुना बढ़ाने के लिए धनतेरस का त्यौहार किया जाता है उस दिन समुद्र मंथन में भगवान का जन्म हुआ था जो कि अपने हिसाब अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर आते हुए थे इसी दिन धनतेरस के रूप में मनाते हैं परंपरा इसलिए भगवान भगवान अमृत अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इस दिन बहुत शुभ माना जाता है इस दिन का शुभ मुहूर्त पूजन किया जाता है कुछ नया चाहिए।
धनतेरस का महत्व क्या है।
धनतेरस का महत्व यह है कि मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है धनतेरस के दिन भगवान धनगरी और माता लक्ष्मी देवी का पूजा का विशेष महत्व है मां लक्ष्मी की कृपा से वैभव और सुख समुद्र की प्राप्ति होती है मां लक्ष्मी के शिक्षकों के जीवन में बहुत कष्ट बधाइयां और परेशानियों का नाश होता है धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा किए जाते हैं विशेष कृपा प्राप्त होती है।
धनतेरस का शस्त्र नियम।
धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की उत्तर की नीयत से को मनाई जाती है यह उत्तर पीनी किसी से मतलब है कि अगर त्रयोदशी तिथि च**** के साथ होती है तो धनतेरस मनाई जाना चाहिए।
धनतेरस के दिन प्रदोष काल यमराज के दीप दान भी किया जाता है अगर दोनों दिन त्रयोदशी तिथि के प्रदोष काल का स्पष्ट करती है अथवा नहीं करती है तो दोनों स्थिति में किस दान दूसरे दिन को किया जाता है।।
धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजा विधि का महत्व पूर्ण।
देखिए दोस्तों इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है इसके पीछे भी एक कहानी है एक दिन भगवान विष्णु ने लोगों को देखने के लिए विचार किया तब लक्ष्मी देवी ने भी साथ चलने की कोशिश की विष्णु जी ने उनसे कहा कि तुम साथ आ सकती हो लेकिन जैसा मैं कहती हूं ऐसा तुमको करना होगा तो करना पड़ेगा तभी साथ चलोगे देवी की इस पर कोई अपाचे नहीं नहीं थी उन्हें शर्त मान ली दोनों लोग दर्शन के लिए निकल पड़े तभी विष्णु जी ने दक्षिणी दिशा की ओर से रखिया की और देवी लक्ष्मी से कहा कि देवी मेरे पीछे मत आओ और यही कह कर मेरी प्रतीक्षा करो उनके जाने के बाद माता लक्ष्मी के मन में एक विचार आया कि उनके प्रशिक्षक करने के लिए क्यों कहा गया उन्हें जाकर देखना चाहिए ऐसा सोचकर विष्णु जी के पीछे चली गई रास्ते में किसान अपने खेत में अनाज को उगाई हुआ था खेत में कई प्रकार के फसल लगे हुए थे उन्हें थे और हरी सब्जी भी थे लक्ष्मी जी ने खेत में तोड़ लिया और कुछ समय बाद भी विष्णु जी से मिले उनके पीछे देख कर और हाथ में रखे फल के बारे में पूछा उसने दिया जो लक्ष्मी जी ने कहा मैंने अपने लिए थोड़ा है तो विष्णु जी क्रोधित हो गए और कहा कि तूने किसान के खेत में चोरी की है आपने मेरा पीछे क्यों किया तुमको जब मना किया था कि तुम को घर में रहना है दोस्ती हो गई इसके उसको उस दिन किसान के घर में 12 साल रहना है उसके पति के रूप में उसकी सेवा करनी है उन्हें छोड़ कर चले गए 12 साल तक के घर का सारा काम करती थी और लक्ष्मी के रहने से किसान की संपत्ति कई गुना बढ़ गई तभी वह 3 साल के बाद लक्ष्मी के घर लाने आई लक्ष्मी रहने से किसान की संपत्ति की दुगना वह दिन 12 साल के बाद लक्ष्मी जी को लेने आए है यहां पर भी किसान ने कहा कि मानव जाति है।
धनतेरस दिन को क्या खरीदना चाहिए।
धनतेरस के दिन बहुत शुभ माना जाता है उस दिन नई चीजें जैसे सोना चांदी पीतल कर देना बहुत शुभ माना जाता है इनमें से कोई भी चीज खरीद सकते हैं और घर के लिए शुभ झाड़ू और धनिया खरीदना बहुत शुभ माना जाता है और इसके अनुसार से आप चांदी पीतल करना चाहते हैं तो वह भी बहुत बढ़िया हैं आपके बजट के अनुसार अब जो भी खरीद सकते हैं।
हम लोग धनतेरस क्यों मनाते हैं।
दोस्तों धनतेरस किस लिए मनाया जाता है धनतेरस जनवरी के प्रकट होने की टीम के रूप में मनाया जाता है कहा जाता है कि दिवाली से 2 दिन पहले धनुष रितेश समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसके लिए धनतेरस को अंतरित जयंती भी कहा जाता है उसी के रूप से हम लोग धनतेरस बनाते हैं उस दिन मां लक्ष्मी देवी का अवतार होता है इसलिए जाते हैं और उस दिन मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं।
धनतेरस की कहानी क्या है।
धनतेरस की पूजा जुड़ी कुछ कथाएं आपको बताने जाने जा रहे हैं रजा मास के 16 वर्ष बेटे से संबंधित राजा हिमांश के बेटे की कुंडली के अनुसार उसकी मृत्यु शादी के चौथे दिन या सांप काटने से हो जाएगी उस दिन उसके पत्नी ने अपने सभी चमत्कार मांगने सोने और चांदी के सिक्के और अन्य ने सोने के कक्ष के प्रवेश द्वारा एक डोर से रूप में रखा रखा और अपने पति को सोने से रोकने के लिए मिट्टी के दीपक दीया के साथ अपने कमरे को प्रकाश किया उससे गहने भी भी मिल गया अपने पति को कहानियां सुनाई और सांप काटने से बचने के लिए उसी पूरी रात जागृत रखा जब भगवान और सांप के रूप में हुआ अनेक प्रवेश द्वार पर पहुंचे तो वहां दरवाजे पर रखे गहने रोशनी और चमत्कार से उनकी आंखें और गाने और कहानियों के सुनने के बाद अगली सुबह वापस लेगी राजकुमार का जीवन उसकी पत्नी द्वारा बताया गया था और वो यही कारण है कि उस दिन धनतेरस के रूप में हम लोग बनाए जाते हैं इसके अलावा अगले 3 या 1 या नरक चतुर्थी के रूप में भी मनाया जाता है जहां घर की महिलाओं के हर कोने में जलाई जाती है और उन्हें भगवान के रूप में रात को जन्म देती है मां अमृतम से अपने पति और परिवार के लिए सुख स्वस्थ और समुदाय जीवन के लिए प्रदान करती हैं जिनके देश के विभिन्न हिस्सों में छोटी या बड़ी दिवाली मनाए जाते हैं इसे कहते हैं धनतेरस।
धनतेरस की पूजा कब करें।
देखें दोस्तों धनतेरस पूजा शाम को की जाती है जिसमें मिट्टी दीपक का नकारात्मक और किसी भी किसी के घर और कार्यालय से पूरी ऊर्जा को दूर करने के लिए हम लोग धनतेरस इतवार मनाए जाते हैं और धनतेरस को दिया जलाने से उसका सर किसी दूसरे का नजर कट जाती है पूजा के बाद भजन और देवी लक्ष्मी के लिए अन्य भक्ति गीत गाए जाते हैं और धनिया के बीच बने मीठे का राशियों में देवी लक्ष्मी की जाती है जबकी भारत के अन्य हिस्सों में प्रारंभिक मिठाई के प्रति की जाती है जो गांव के लोग अपने पशुओं के पूजा करते हैं जिसे गाय का और क्योंकि उनकी आय का प्रमुख स्रोत वहीं से है इसलिए अपना घर का बैल और गाय का पूजा करते हैं।
धनतेरस के दिन क्या करना चाहिए।
देखिए दोस्तों धनतेरस के दिन क्या करना चाहिए और नहीं करना चाहिए धनतेरस भारत में अत्यधिक उत्साह और जोश के साथ में मनाया जाता है एक हिंदू त्यौहार होने के बावजूद यह समाज के अनेक वर्गों के द्वारा भी समान उत्साह के साथ मनाया जाता है इस दिन सोने चांदी बर्तन रखने के खरीदने की शुभ माना जाता है देवी लक्ष्मी घर लाने के रूप में मनाया जाता है साथ ही ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर किसी भी प्रकार की धातु की खरीद अच्छे भाग्य का प्रतीक माना जाता है उस दिन सबसे ज्यादा सोना और चांदी और तांबे के बर्तन को ज्यादा खरीदारी करते हैं कि क्योंकि उस दिन का कुछ ना कुछ लेना पड़ता है नया चीज और घर के लिए झाड़ू एक बहुत जरूरी है धनतेरस पर लोगों को नए कपड़े खरीदते हैं अपने घरों के कार्यालय के साथ रखते हैं और और और लाइट मा लक्ष्मी की मूर्तियों के पास रात भर जलाए जाते हैं उन्हें भी उसके बाद रात में अपना पूजा करते हैं।
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