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2026 mai holi kab hai - होली कब है

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1. 2026 में Holi कब है?

Rangwali Holi (मुख्य दिन) : 4 मार्च 2026, बुधवार 

Holika Dahan (होली अगली रात की पूजा / हवन) : 3 मार्च 2026, मंगलवार की शाम को 

पंचांग के अनुसार: पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा = च₊ पूर्णिमा) 2 मार्च 2026 को संध्या से शुरू होती है और 3 मार्च की शाम तक चलेगी 

यानी होली का उत्सव दो भागों में विभाजित है — पहले दिन Holika Dahan (आग में बुराई का दहन), दूसरे दिन रंग एवं गुलाल से मिलन और उल्लास का दिन। 

इस प्रकार, 2026 में Holi का मुख्य दिन 4 मार्च, बुधवार है और होलिका दहन की रात 3 मार्च की शाम को होगी

2. Holi क्यों मनाई जाती है? — पौराणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

Holi केवल एक रंगों का त्योहार नहीं है — इसके पीछे गहरी मान्यताएँ, कथाएँ और प्रतीकात्मक अर्थ हैं। नीचे Holi मनाने के कारण व इसके महत्व को विस्तार से समझाया गया है:

2.1 पौराणिक कथा एवं धार्मिक कारण

1. पुंडरीक/प्रह्लाद और होलिका की कथा

सबसे प्रसिद्ध कथा यही है कि हिरण्यकशिपु नामक असुर राजा था। उसे लगता था कि वह अमर है और सभी उसकी स्तुति करें। लेकिन उसका बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और वह विष्णु की स्तुति करता रहता था, जिससे राजा क्रोधित हो गया। राजा ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को आग में या जिंदा जला दे। होलिका को आग प्रतिकारक वरदान प्राप्त था, लेकिन जब देवता की कृपा से प्रह्लाद बच गया, तब होलिका स्वयं जली। इस प्रकार बुराई का अंत और भक्ति का विजय दर्शाने के लिए Holika दहन की परंपरा आरंभ हुई।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्ची भक्ति और धर्मबुद्धि से बड़े से बड़ा संकट भी हल हो सकता है, जबकि बुरी प्रवृत्ति अंततः नष्ट हो जाती है। Holika दहन इसी प्रतीक का हिस्सा है।

2. वसंत ऋतु का स्वागत

Holi को वसंत (स्प्रिंग) के आगमन का प्रतीक माना जाता है। यह उस समय का उत्सव है जब ठंडी सर्दियाँ खत्म होती हैं और प्रकृति नवजीवन, फूल और हरियाली के साथ खिल उठती है। रंगों से मिलन करना — जैसे गुलाल, रंग-बिरंगे पाउडर, रंगीन जल — इस नए मौसम के रंगों और उमंगों का प्रतीक है।

3. कृष्ण लीला एवं राधा-कृष्ण प्रेम

उत्तर भारत में विशेष रूप से ब्रज (मथुरा, वृंदावन आदि) क्षेत्रों में यह माना जाता है कि कृष्ण भगवान ने राधा और गोपियों के साथ रंग-उत्सव मनाया करते थे। छोटे कृष्ण अक्सर गोपियों के साथ रंगों से खेलते थे। इस पौराणिक कथा ने Holi को एक प्रेम, मिलन, हास्य-खेल और रंगों के उत्सव के रूप में स्थापित किया।

4. मिलन, मेल-मिलाप और सामाजिक समरसता

Holi सामाजिक भेदभाव, जात-पात, श्रेणी आदि को भूलकर सभी एक-दूसरे से रंग खेलते हैं। यह असल में मनुष्य को याद दिलाता है — भले ही कोई भिन्न हो, रंगों से मिलन कर वह समानता का भाव महसूस करे। इससे समाज में मेल मिलाप, भाईचारा और सद्भाव बढ़ता है।

5. नकारात्मकता और पाप का दमन

Holika दहन का अग्नि संस्कार बुरी शक्तियों, पाप, अधर्म को जला देने का प्रतीक है। अग्नि को शुद्ध करने वाला माना जाता है; Holika दहन कर मन और वातावरण को पवित्र करने का भाव होता है।

2.2 सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

समारोह एवं उल्लास

होली का दिन गीत, नृत्य, मस्ती, पानी-खेल, गुलाल-रंगों का मेल — ये सभी उत्सव का स्वरूप हैं। सभी उम्र के लोग — बच्चे, युवा, वृद्ध — मिलकर आनंद मनाते हैं। घर-घर मिठाई, पकवान बनते हैं।

परिवार और मित्रों के बीच संबंध मजबूत करना

लोग एक-दूसरे को होली की बधाई देते हैं, मिलन करते हैं, पुराने मन-मुटाव भूल जाते हैं। यह मेल-मिलाप, क्षमा और पुनर्मिलन का अवसर बनता है।

संस्कृति और परंपरा का निर्वहण

विविध राज्यों में भिन्न-भिन्न रीति से Holi मनाई जाती है — जैसे लठमार होली (बारसाना / नौहटा), होलिका-धन (अग्नि पूजा), रंगोत्सव (रंग-उत्सव), होली-नृत्य आदि। यह भारत की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

पर्यटन एवं सार्वजनिक उत्सव

आज के समय में Holi पर्यटन का अवसर बन गया है — देश-विदेश से लोग भारत आये और रंगों का उत्सव अनुभव करें। बड़े शहरों में होली कार्यक्रम, रंग-महोत्सव, रंगपेंट पार्टी आदि आयोजन होते हैं।

3. Holi उत्सव की विधियाँ, रीति-रिवाज़ और अनुष्ठान

Holi केवल रंग खेलना नहीं है, इसके पीछे कई रस्में और विधियाँ भी हैं। नीचे Holi मनाने की सामान्य और प्रादेशिक प्रथाएँ दी हैं:

3.1 सामान्य विधियाँ

1. सफाई एवं तैयारी

Holika दहन से पहले स्थान को साफ किया जाता है। पूजा स्थल तैयार किया जाता है — लकड़ी, गोबर के उपले, चंदन आदि सामग्री इकट्ठी की जाती हैं।

2. Holika Sthapana (होलिका स्थापना)

होलिका (आगर्पूजा के लिए सामग्री) को आमतौर पर दो डमी (कागज, लकड़ी आदि से बनी होलिका प्रतिमा) रूप में स्थापित किया जाता है।

3. पुजा और हवन

होलिका के सामने पूजा की जाती है — ओम, मंत्र, दीप, अक्षत, पुष्प, गंध आदि अर्पित किए जाते हैं। फिर होलिका को आग दी जाती है — बुराई का प्रतीकात्मक दहन।

4. रंग-उत्सव (रंग खेलना, गुलाल लगाना)

अगली सुबह लोग उठते हैं, एक-दूसरे को गुलाल/रंग लगाते हैं। पानी-गुल्लक (पानी भरे गुब्बारे), हुल्लड़ खेल, रंगीन पेय (जैसे थंडी, भांग का मिश्रण) आदि उपयोग में लाए जाते हैं।

5. भोजन एवं मिठाइयाँ

होली के अवसर पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं — जैसे गुजिया, पापड़ी, ठंडाई, दही-वड़ा, मालपुआ आदि। इन पकवानों को सब मिलकर खाते हैं।

6. मिलन और बधाई

लोग एक-दूसरे को होली की बधाई देते हैं, पुराने मन-मुटाव भूलकर गले मिलते हैं।

3.2 प्रादेशिक विविधताएँ

लठमार होली (बरसाना / नॉर्थ भारत)

महिलाओं द्वारा पुरुषों पर लाठी-डंडे से होली खेलना — एक पारंपरिक रस्म।

डोलिया होली / डोल जत्रा

पूर्व भारत (ओडिशा / बंगाल) में भगवान को झूले पर बैठाकर रंग लगाना।

फाग पूर्णिमा

कभी-कभी Holi को “फाग पूर्णिमा” कहा जाता है — पूर्णिमा (पूर्ण चंद्र) का त्योहार।

तृतीया / रांग पंचमी

कई स्थानों पर Holi के बाद पांचवें दिन रांग पंचमी मनाई जाती है — रंगों का पुनरावलोकन एवं उत्सव

4. Holi के आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक पहलू

नकारात्मक ऊर्जा का समापन

होलिका दहन बुराई, अहं, नकारात्मक विचारों को जलाने का प्रतीक है, और एक नया आरंभ करने का संकेत देता है।

रंगों का प्रतीकात्मक अर्थ

हर रंग का अपना अर्थ है — लाल प्रेम, पीला धन-सौभाग्य, हरा समृद्धि, नीला शांति आदि। रंगों द्वारा जीवन में खुशी, उत्साह, विविधता, ऊर्जा का संचार होता है।

इंसान को बंधनों से मुक्त करना

Holi यह सिखाती है कि इंसान को पुराने दुःख, गुस्सा, नफ़रत आदि छोड़कर नए सिरे से शुरू करना चाहिए।

एकता और सामाजिक संबंध

जात-पात, सामाजिक भेद देखकर न खेलना, अपितु सभी से मिलना, मिलन और प्रेम बढ़ाना — Holi इसे साकार क

5. 2026 Holi: विशेष बातें एवं समय-सारणी

हो लीका दहन का मुहूर्त : 3 मार्च 2026, शाम 06:23 बजे से 08:51 बजे तक 

रंगवाली होली : 4 मार्च 2026 (पूरे दिन) 

TimeAndDate और अन्य पंचांग स्रोतों के अनुसार यह दिन सार्वजनिक अवकाश रहेगा। 

6. निष्कर्ष

Holi न सिर्फ एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह समूह मेल, प्रेम, रंगों की मस्ती, प्रकृति के प्रति श्रद्धा का त्योहार भी है। 2026 में इसे 4 मार्च को मनाया जाएगा, एवं 3 मार्च की शाम को होलिका दहन होगा।

जहाँ तक कारण है — पुराणों की कथाएँ, भक्तिमय भाव, सामाजिक समरसता, बुराई पर अच्छाई की जीत और मानव दिलों में प्रेम और भाईचारे को जगाना —


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